Pakistan water emergency: पाकिस्तान में पानी का संकट गहराया, झेलम नदी में बाढ़ से हड़कंप, मस्जिदों से किए जा रहे ऐलान
पाकिस्तान में झेलम नदी की बाढ़ से हालात बिगड़े, सरकार ने वॉटर इमरजेंसी लागू की। मस्जिदों से अलर्ट जारी कर लोगों को सतर्क किया जा रहा है। सेना और राहत दल बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं।
Pakistan water emergency: पाकिस्तान में भीषण बाढ़ ने तबाही मचा दी है। झेलम नदी के उफान पर आने के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं। बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने देशभर में वॉटर इमरजेंसी घोषित कर दी है। मस्जिदों से लगातार अलर्ट जारी किए जा रहे हैं, ताकि लोग समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंच सकें।
झेलम नदी का रौद्र रूप
बीते कुछ दिनों में लगातार बारिश और पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद झेलम नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। नदियों और जलाशयों में पानी का दबाव बढ़ने से निचले इलाकों में पानी भर गया है। कई गांवों और कस्बों में बाढ़ का पानी घुस चुका है, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।
मिड-डे-मील में गुणवत्ता सुधार की दिशा में पंजाब सरकार का बड़ा कदम
प्रभावित क्षेत्रों में हजारों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। सड़कें जलमग्न हैं और यातायात व्यवस्था चरमरा गई है। ग्रामीण इलाकों में कई परिवार सुरक्षित स्थानों की तलाश में पलायन कर रहे हैं।
मस्जिदों से दी जा रही सतर्कता की सूचना
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मस्जिदों से लाउडस्पीकर के जरिए लगातार चेतावनियां दी जा रही हैं। स्थानीय प्रशासन ने मस्जिदों के माध्यम से बाढ़ के खतरे की जानकारी लोगों तक पहुंचाने का फैसला लिया है। नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे जल्दी से जल्दी ऊंचे स्थानों पर चले जाएं और प्रशासन द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में शरण लें।
सरकार ने लागू की वॉटर इमरजेंसी
पाकिस्तान की सरकार ने वॉटर इमरजेंसी लागू करते हुए सभी प्रांतीय प्रशासन को राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। सेना और बचाव दलों को प्रभावित इलाकों में तैनात किया गया है। हेलीकॉप्टर और नावों की मदद से बाढ़ में फंसे लोगों को निकाला जा रहा है।
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प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जान-माल की रक्षा के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं। आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं और भोजन वितरण केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
जनजीवन पर गहरा असर
बाढ़ से पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध प्रांत सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो चुकी हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की भारी किल्लत हो गई है और बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई है।
लोगों को अपने पशुओं और सामान के साथ सुरक्षित स्थानों तक पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या बढ़ गई है, जिनमें से कई लोग जलजनित बीमारियों से पीड़ित हैं।
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जलवायु परिवर्तन को बताया जा रहा है मुख्य कारण
जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की भीषण बाढ़ का कारण वैश्विक जलवायु परिवर्तन है। अत्यधिक वर्षा और तेजी से पिघलते ग्लेशियरों ने नदियों में पानी के बहाव को अचानक बढ़ा दिया है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि पाकिस्तान ने जलवायु नीतियों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया तो आने वाले वर्षों में और भी भयावह स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील
स्थिति की भयावहता को देखते हुए पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों और पड़ोसी देशों से सहायता की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र सहित कई एजेंसियों ने राहत और पुनर्वास कार्यों में सहयोग का भरोसा दिलाया है। विदेशी मदद के जरिए राहत कार्यों में गति लाने की कोशिश की जा रही है।
पाकिस्तान इस समय जल संकट की विकट स्थिति से गुजर रहा है। सरकार, प्रशासन और आम नागरिक मिलकर इस चुनौती से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। आने वाले दिनों में मौसम के मिजाज और नदी के जलस्तर पर निर्भर करेगा कि हालात कितनी जल्दी सामान्य हो पाते हैं।
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