China-Taiwan News Today: ताइवान ने भारतीय धरती पर क्या किया? भड़क गया चीन और फिर उगला जहर
What did Taiwan do on Indian soil? China got angry and then spewed venom
China-Taiwan News Today: भारत और चीन के बीच दशकों से किस तरह के रिश्ते रहे हैं, ये तो सभी जानते हैं। साल 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं में झड़प हुई थी, जिसके बाद से अब तक सीमा पर गतिरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच गुरुवार को ताइवान के विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी किया गया, जिसमें वो एक बार फिर भारत के खिलाफ अपनी भड़ास निकालता नजर आया। इसकी मुख्य वजह भारत-ताइवान संबंध थे। दरअसल, ताइवान ने भारतीय धरती पर एक नया व्यापारिक दूतावास खोला है। ये बात चीन को बिल्कुल पसंद नहीं आई।
भारत में ताइवान के वाणिज्य दूतावास पहले से ही दिल्ली और चेन्नई में मौजूद हैं। अब भारत के इस मित्र देश ने देश की आर्थिक राजधानी यानी मुंबई में अपना नया दूतावास खोला है। इसके बाद चीन ने कहा कि भारत को ताइवान के मामलों को विवेकपूर्ण तरीके से निपटाना चाहिए। दरअसल, चीन ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है। जबकि ताइवान का कहना है कि वह एक स्वतंत्र देश है। जो भी देश ताइवान को अलग देश के रूप में मान्यता देता है, चीन उसके खिलाफ जहर उगलने का मौका नहीं छोड़ता। यही वजह है कि भारत में ताइवान के इस ताजा कदम के जरिए चीन भारत के खिलाफ अपनी भड़ास निकाल रहा है। हाल ही में चीन ने ताइवान द्वीप के आसपास सैन्य अभ्यास कर उन्हें डराने की कोशिश की थी।
चीनी प्रवक्ता ने क्या कहा?
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि चीन उन देशों द्वारा ताइवान के साथ किसी भी आधिकारिक संपर्क का विरोध करता है, जिनके बीजिंग के साथ राजनयिक संबंध हैं। “चीन ने भारतीय पक्ष के समक्ष गंभीर प्रतिनिधित्व दर्ज कराया है। वन चाइना पॉलिसी भारतीय पक्ष द्वारा की गई एक गंभीर राजनीतिक प्रतिबद्धता है और चीन-भारत संबंधों की राजनीतिक नींव है। चीन भारत से आग्रह करता है कि वह अपनी प्रतिबद्धताओं का सख्ती से पालन करे, ताइवान से संबंधित मुद्दों को विवेकपूर्ण और उचित तरीके से संभाले और ताइवान के साथ किसी भी आधिकारिक आदान-प्रदान से परहेज करे।”
भारत का क्या रुख है?
ताइवान को लेकर भारत का रुख साफ है। ताइवान भारत का एक बड़ा साझेदार देश है। आर्थिक मोर्चे पर भारत और ताइवान कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। चाहे भारत में सेमीकंडक्टर का निर्माण हो या फिर दूसरी छोटी-बड़ी तकनीकों का आदान-प्रदान, ताइवान ने हर मौके पर भारत का साथ दिया है। ऐसे में भारत चीन की धमकियों की परवाह किए बिना ताइवान के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाता रहा है।