Eid-ul-Adha 2023: मुस्लिमों की पवित्र यात्रा ‘हज यात्रा’ शुरु हो चुकी है। हर साल सऊदी अरब के पवित्र मक्का शहर में धुल हिज्जा महीने में हज की यात्रा की जाती है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार धुल हिज्जा वर्ष का 12 वां महीना है। इस बार हज 26 जून से शुरु होकर 1 जुलाई को खत्म होगा पांच दिन की धारमिक यात्रा है, जो सऊदी अरब के मक्का शहर में होती है। इस्लाम के अनुसार, हर मुस्लिम को अपने जीवन में एकबार हदज जरुर जाना चाहिए। आइए आपको हज यात्रा के बारे में विस्तार से बताते हैं।
हज को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना जाता है। ऐसी परंपरा है कि आर्थिक और शारीरिक रुप से सक्षम मुस्लिमों को अपने जीवन में कम से कम एक बार हज जरुर जाना चाहिए।हज पाप धोने और खुद को अल्लाह के करीब ले जाने का रास्ता है।
हज यात्रा कैसे करते हैं?
हज करने वाले आदमी को हाजी कहते हैं। धुल हिज्जा के सातवें दिन हाजी मक्का पहुंचते हैं। हज यात्रा के पहले चरण में हाजी इहराम बांधते हैं। यह एक सिला हुआ कपड़ा होता है। हालांकि, औरतें अपनी पसंद का कोई भी कपड़ा पहन सकती हैं। लेकिन हिजाब के नियमों का पालन करना अहम होता है।
हाजी के पहले दिन हाजी तवाफ यानी परिक्रमा करते हैं। तवाफ करते हुए हाजी सात बार काबा के चक्कर काटते हैं। इसके बाद सफा और मरवा नाम कि पहाड़ियों के बीच चली थीं। इसके बाद हाजी मक्का से 8 किलोमीटर दूर मीना नामक शहर में इकट्ठा होते हैं। वहां पर खुले में दुआ करते हुए पूरी एक रात ठहरते हैं।
शैतान को पत्थर मारने का परंपरा
हाजी तीसरे दिन जमारात पर पत्थर फेंकने के लिए दोबारा मीना लौटते हैं। जमारात तीन पत्थरों का स्ट्रक्चर है, जिसे शैतान और जानवरों की बलि का प्रतीक माना जाता है। दुनियाभर के अन्य मुस्लिमों के लिए यह ईद का पहला दिन होता है। इसके बाद हाजी बाल काटवाते हैं या अपना मुंडन करावाते हैं ।
इसके पहले के दिनों में हाजी मक्का में दोबारा सई और तवाफ करते हैं और फिर जमारत लौटते हैं। मक्का से रवाना होने से पहले सभी हाजियों को हज की यात्रा पूरी करने के लिए आखिरी बार तवाफ करना पड़ता है।
हज यात्रा के आखिरी दिन ईद अल अजहा मनाया जाता है। यह ईद उल फितर के बाद इस्लामिक कैलेंडर का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार होता है। ईद अल अहजा के दिन जानवर की बलि देने और उसके मांस का एक हिस्सा गारिबों में बांटने की परंपरा होती है।यह परंपरा पैगंबर इब्राहिम की याद में निभाई जाती है।