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क्यो मनाई जाती विश्वकर्मा जयंती? जानिए इस दिन का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Vishwakarma Jayanti: कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Jayanti 2023) की जयंती मनाई जाती है। इस दिन वर्कशॉप, मशीन, कारखाने, औजार, कार्यस्थल, दुकान आदि छोटे बड़े संस्थान की साफ सफाई कर पूजा अर्चना की जाती है और भगवान विश्वकर्मा से निवेदन किया जाता है। ऐसा करने से उन्नति होती है और मनोकामना पूरी होती है।

हर साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti 2023) मनाई जाती है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का सृजनकर्ता और प्रथम शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि ब्रह्माजी के कहने पर विश्वकर्मा ने दुनिया बनाई थी। इस दिन रवि नामक शुभ संयोग भी बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व भी बढ़ गया है। उन्होंने ही भगवान कृष्ण की द्वारका से लेकर शिवजी का त्रिशूल और हस्तिनापुर बनाया था। विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti 2023) के दिन लोग अपने दफ्तर, कारखाने, दुकान, मशीन, औजार की पूजा करते हैं। इसके साथ ही इस दिवस पर वाहनों की भी पूजा अर्चना की जाती है। आइए इस लेख के जरिए जानते हैं क्या हैं विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti 2023) का महत्व.
विश्वकर्मा जयंती का महत्व

बता दें भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Jayanti 2023) को ही विश्र्व का पहला वास्तुकार, शिल्पकार और इंजीनियर कहा जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पुर्ण होती हैं और नौकरी व व्यापार में उन्नति के योग बनते हैं। साथ ही इस दिन मशीन, औजार और वाहन आदि की पूजा करने से वे कभी बीच काम या समय बेवक्त धोखा नहीं देते, जिससे काम आसानी से पूरे हो जाते हैं। साथ व्यापार या निर्माण आदि संबंधित कार्यों में कोई रुकावट नहीं आती है और सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इससे मशीनरी पर खर्च भी कम होता है और पूरा कार्य (Vishwakarma Jayanti 2023) भी होता है।

भगवान विश्वकर्मा ने बनाई हैं ये चीजें
भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Jayanti 2023) ने ही भगवान शिव का त्रिशूल, विष्णु भगवान का सुदर्शन, रावण की लंका और पुष्पक विमान, जगन्नाथपुरी, यंत्र का निर्माण, विमान विद्या, देवताओं का स्वर्गलोक, हस्तिनापुर, कृष्ण की द्वारिका, इंद्रपुरी आदि कई चीजों का निर्माण किया था। भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Jayanti 2023) को ही पहला इंजीनियर भी माना जाता है। ब्रह्माजी ने जब सृष्टि की रचना की थी, तब उसके सजाने और संवारने का काम विश्वकर्मा जी (Vishwakarma Jayanti 2023) ने ही संभाला था। इसी श्रद्धा भाव से किसी काम के निर्माण और सृजन से जुड़े लोग विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti ) पर पूजा अर्चना करते हैं।

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विश्वकर्मा जयंती पूजा शुभ मुहूर्त
इस साल विश्वकर्मा (Vishwakarma Jayanti 2023) पूजा 17 सितंबर 2023 दिन रविवार को की जाएगी। वैसे तो शिल्पकार विश्वकर्मा (Vishwakarma Jayanti 2023) की पूजा दिनभर की जाती है लेकिन इनकी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस मुहूर्त में ही आप फैक्ट्री (factory), वाहन, औजार, मशीन (machine) आदि की पूजा कर सकते हैं।

विश्वकर्मा जयंती पूजा विधि
विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti 2023) पर सुबह जल्दी उठकर स्नान व ध्यान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद ऑफिस, दुकान, वर्कशॉप, फैक्ट्री आदि छोटे या बड़े संस्थान की पूरी तरह साफ सफाई करें। साथ ही सभी उपकरण, औजार, सामान, मशीन की भी साफ सफाई करें। फिर पूरी जगह गंगाजल से छिड़काव करें। पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें और फिर चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और माला पहनाएं। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर ध्यान करें। इसके बाद फूल अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और चारो ओर छिड़कें। इसके बाद सभी मशीन व औजार आदि पर रक्षा सूत्र बांधे और प्रणाम करें। फिर भगवान को फल, मिष्ठान आदि का भोग लगाएं। साथ में पूरे संस्थान और मशीन, औजार आदि चीजों की भी आरती करें। पूजन में भगवान विष्णु का भी ध्यान करें और यज्ञ आदि का आयोजन करें। जहां पूजा कर रहे हों, उस परिसर में हर जगह आरती लेकर जाएं और भोग सभी में वितरण कर दें। पूजा के बाद भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Jayanti 2023) से सफलता की कामना करें।

Prachi Chaudhary

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