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Waqf Amendment Act: कलेक्टर की जांच के बाद क्या वक्फ संपत्ति सरकार की संपत्ति हो जाएगी? CJI के सवाल के जवाब में सरकार ने ये कहा

वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। आज सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सरकार की ओर से दलीलें पेश कर रहे हैं। मेहता ने आज कोर्ट में कहा कि कुछ याचिकाएं पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती हैं।

Waqf Amendment Act: वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। कोर्ट अंतरिम आदेश जारी करने के सवाल पर सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। कल करीब 4 घंटे तक याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने कानून में दर्जनों खामियां गिनाईं। आज सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सरकार का बचाव करते नजर आए।

पढ़े : सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर सुनवाई जारी, पढ़ें कपिल सिब्बल ने क्या दी दलीलें?

केंद्र सरकार की ओर से एसजी मेहता ने आज अपनी दलील यह कहकर शुरू की कि जनहित याचिका दायर करने वाले लोगों में से कोई भी प्रभावित पक्ष या व्यक्ति नहीं है। संसद के पास विधायी क्षमता है या नहीं, यह सवाल नहीं है। यही एकमात्र आधार था जिस पर पहले किसी कानून पर रोक लगाई गई थी। मैं यह कहना चाहता हूं कि चंद याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते।

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कोर्ट अपडेट्स

  1. मेहता ने कहा कि अगर आपने खुद को वक्फ बाय यूजर के तौर पर रजिस्टर किया है तो इसमें दो अपवाद हैं यानी विवाद का मतलब होगा कि किसी निजी पक्ष ने मुकदमा दायर किया है। उदाहरण के लिए, यह मेरी संपत्ति है जिसे वक्फ घोषित किया गया है। अगर वक्फ संपत्ति को लेकर निजी पक्षों के बीच कोई विवाद है तो वह सक्षम न्यायालय के फैसले से शासित होगा। हम वक्फ बाय यूजर से निपट रहे हैं।
  2. मेहता ने कहा कि सरकार सभी नागरिकों के लिए ट्रस्ट में जमीन रखती है। वक्फ की परिभाषा के अनुसार उपयोगकर्ता का मतलब है कि संपत्ति किसी और की है। आपने अभी निरंतर उपयोग का अधिकार हासिल किया है। ऐसे में जरूरी है कि निजी-सरकारी संपत्ति का लंबे समय तक उपयोग किया जाए। अगर ऐसी जगह कोई इमारत है जहां सरकारी संपत्ति हो सकती है, तो क्या सरकार यह जांच नहीं कर सकती कि संपत्ति सरकार की है या नहीं?
  3. मेहता ने कहा कि शुरुआती बिल में कहा गया था कि कलेक्टर फैसला करेगा। आपत्ति यह थी कि कलेक्टर अपने मामले में जज होगा। इसलिए जेपीसी ने सुझाव दिया कि कलेक्टर के अलावा किसी और को नामित अधिकारी बनाया जाए। इस पर सीजेआई गवई ने पूछा कि क्या यह सिर्फ कागजी एंट्री होगी। मेहता ने कहा कि यह कागजी एंट्री होगी। लेकिन अगर सरकार को मालिकाना हक चाहिए तो उसे टाइटल के लिए मुकदमा दायर करना होगा। अगर कोई ट्रस्ट की संपत्ति का सौदा कर रहा है तो उसे पता होना चाहिए कि रेवेन्यू रिकॉर्ड के मुताबिक सरकार मालिक है, वक्फ नहीं।
  4. सीजेआई गवई ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा पेश की जा रही तस्वीर यह है कि एक बार कलेक्टर जांच कर लें तो संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं रह जाएगी और जांच पूरी होने के बाद पूरी संपत्ति सरकार के कब्जे में चली जाएगी। इसके जवाब में मेहता ने कहा कि हमें मालिकाना हक के लिए टाइटल सूट दाखिल करना होगा। जस्टिस मसीह ने पूछा, क्या कानून का सहारा लिए जाने तक ऐसे ही कब्जा जारी रहेगा? जवाब में एसजी ने कहा हां।

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Written By| Chanchal Gole| National Desk

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