Caste Census in Bihar: बिहार में जारी जातीय जनगणना (caste census in Bihar) को लेकर खूब राजनीति चल रही है। पहले तो इस जनगणना को पटना हाई कोर्ट ने रोक दिया था अब सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ कई याचिकाएं लगी हुई है। सुप्रीम कोर्ट में आज इस पर सुनवाई भी हुई। सुनवाई तो पहले भी हुई थी जिसमें अदालत ने आज 18 तारीख की अगली सुनवाई करने की बात कही थी। शीर्ष अदालत ने आज मसले पर सुनवाई भी की। अब अगली सुनवाई 21 तारीख को होनी है। अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि भले ही बिहार में जातीय जनगणना संपन्न हो गए हैं लेकिन क्या शीर्ष अदालत इसके आंकड़े के प्रकाशन पर रोक लगा सकता है? 21 तारीख को अदालत क्या कुछ बिहार समेत पूरे देश की निगाह लगी है।
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आज की सुनवाई में दोनों पक्षी की तरफ से काफी जिरह हुई है। दोनों ने अपने तर्क रखें हैं। सुनवाई के दौरान जज ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि वह किन मुख्य बिंदुओं पर बहस चाहते हैं? याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सबसे पहले सर्वे के डाटा के जारी होने पर रोक की मांग करते हैं। इसके बाद जज ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे और जल्द इस मुद्दे को निपटाएंगे भी। हम जल्द इस पर निपटारा चाहते हैं। लेकिन पहले यह दिखाया जाए यह केस प्रथम दृष्ट्या बनता भी है?
बिहार में जातिगत जनगणना (caste census) के खिलाफ यूथ फॉर इक्वलिटी की याचिका भी डाली गई है। सुनवाई के दौरान इसके वकील ने कहा कि वह इसके लिए तैयार हैं। जज ने कहा अगर केस बनता हुआ नजर आएगा तब हम विस्तृत सुनवाई से पहले रोक जैसा कोई आदेश देंगे। इसके बाद वकील वैद्यनाथ ने बहस करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट फैसला दे चुका है कि निजता का हनन बहुत ही सीमित मामलों में किया जा सकता है। जबकि यहां एक प्रशासनिक आदेश से ऐसा किया जा रहा है।
इस पर बिहार सरकार के वकील श्याम दीवान ने अदालत को बताया राज्य सरकार कोई डाटा प्रकाशित नहीं करने जा रही है। निजता के हनन की दलील दे रहे वकील से जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि सरकार (caste census) कह रही है कि वह किसी व्यक्ति से ली गई निजी जानकारी को सार्वजानिक नहीं किया जायेगा। सिर्फ सामूहिक आंकड़े ही सामने रखे जायेंगे।
इसके बाद वकील वैद्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार इस सर्वे के लिए सक्षम है या नहीं इस पर दूसरे वकील पक्ष रखेंगे। इसके बाद जज ने कहा कि ठीक है हम उन्हें सोमवार को सुनेंगे। इसके बाद आज कि सुनवाई बंद हो गई।
अब इसके बाद ही कई तरह की बात कही जा रही है। कुछ लोग कह रहे हैं कि सरकार के डाटा पर अदालत रोक लगा सकता है जबकि कुछ लोग कह रहे हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा। राज्य सरकार भी जनता के कल्याण के लिए ही यह सब कर रही है और सुप्रीम कोर्ट को यह सब पता है।