Bairabi-Sairang Rail Line: बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन का काम पूरा, आजादी के 77 साल बाद दिल्ली से आइजोल तक ट्रेन
रेलवे ने बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन का काम पूरा कर लिया है। अब देश की राजधानी से आइज़ोल तक सीधी ट्रेनें दौड़ती नज़र आएंगी। बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन लगभग 51.38 किलोमीटर लंबी है। बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन का उद्घाटन जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
Bairabi-Sairang Rail Line: आज़ादी के 77 साल बाद मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल भारतीय रेलवे के नक्शे पर आ गई है। रेलवे ने बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन का काम पूरा कर लिया है। नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रेलवे लाइन की आधारशिला रखी थी। हालांकि इस परियोजना की परिकल्पना वर्ष 2008 में की गई थी, लेकिन इसने वर्ष 2014 में गति पकड़ी। इस परियोजना की लागत लगभग 5022 करोड़ रुपये थी।
अधिकारियों के अनुसार, अब देश की राजधानी से आइज़ोल तक सीधी ट्रेनें दौड़ती नज़र आएंगी। बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन लगभग 51.38 किलोमीटर लंबी है। यह रेलवे लाइन असम के सिलचर से आइज़ोल जाने के लिए सुविधाजनक है। बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन का उद्घाटन जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
परियोजना में भूस्खलन जैसी चुनौतियां आई
अब तक मिज़ोरम में केवल बैरवी ही भारतीय रेलवे से जुड़ा था, लेकिन अब आइज़ोल भी भारतीय रेलवे से जुड़ गया है, जिससे राज्य में रेल नेटवर्क का सपना साकार हो रहा है। इस खंड के निर्माण में 11 साल लगे। परियोजना में भूस्खलन जैसी चुनौतियाएं भी आई, लेकिन इससे जुड़े अधिकारियों ने हर चुनौती का सामना किया और इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। यह क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जाता है।
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100 साल की मजबूती
ऐसी स्थिति में भी, रेलवे ने एक ऐसा ट्रैक बनाया है जो 100 साल से भी ज़्यादा समय तक चलेगा। इसका डिज़ाइन कानपुर आईआईटी और गुवाहाटी के इंजीनियरों की मदद से तैयार किया गया है। कई इलाकों में यह हाईवे से 12 किलोमीटर से भी ज़्यादा जंगलों से होकर गुज़रता है। परियोजना के मुख्य अभियंता विनोद कुमार ने बताया कि इस लाइन का सपना 1999 में देखा गया था। यह 26 साल बाद बनकर तैयार हुई है।
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पर्यटन को मिलेगी नई दिशा
यह मार्ग मिज़ोरम के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। इससे न सिर्फ राज्य में कनेक्टिविटी बढ़ेगी, बल्कि पर्यटन को भी नई दिशा मिलेगी। इतना ही नहीं, पहले सिलचर से आइजोल पहुंचने में आठ घंटे लगते थे, लेकिन अब सिर्फ तीन घंटे लगेंगे। इस रेलवे लाइन पर लगभग 153 पुल हैं। इसमें एक पुल संख्या 196 भी है। इसकी ऊंचाई 104 मीटर है। यह कुतुब मीनार से भी ऊंचा है।
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