Workshop on stubble management and air pollution: पराली प्रबंधन एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण पर कार्यशाला संपन्न, किसानों को जैविक समाधानों की ओर प्रोत्साहित किया गया
Workshop on stubble management and air pollution: उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली प्रबंधन और वायु प्रदूषण पर कार्यशाला आयोजित की, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने की। अधिकारियों, वैज्ञानिकों और किसानों ने इसमें भाग लिया। "खाद के बदले पराली" अभियान में 2.9 लाख कुंतल पराली एकत्र की गई।
Workshop on stubble management and air pollution: पर्यावरण और कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान खोजने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में पराली प्रबंधन एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण के संबंध में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला लखनऊ के लोक भवन में संपन्न हुई, जिसमें कृषि, पशुधन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों, वैज्ञानिकों, विषय विशेषज्ञों, एफपीओ पदाधिकारियों और प्रगतिशील किसानों ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया।
पराली जलाने के नुकसान पर जोर
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने पराली जलाने के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण में तेजी से बढ़ोतरी होती है और मिट्टी की उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे किसानों को दीर्घकालिक नुकसान होता है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार के प्रयासों से पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन इसे न्यूनतम स्तर तक पहुंचाने के लिए ठोस रणनीतियों की आवश्यकता है।
मुख्य सचिव ने किसानों को जागरूक करने और सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि पराली को खेत में मिलाकर जैविक खाद के रूप में उपयोग करना न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक होगा, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेगा। उन्होंने पराली से बायोगैस और बिजली उत्पादन जैसे पर्यावरण-अनुकूल उपायों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो किसानों को आर्थिक लाभ भी प्रदान करेंगे।
कृषि उपकरणों का वितरण और नई तकनीकों का उपयोग
मुख्य सचिव ने कृषि विभाग को निर्देश दिया कि पराली प्रबंधन के लिए बेलर और मल्चर मशीन जैसे उपकरणों का वितरण जिला स्तर पर सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने नवीनतम तकनीकों के उपयोग पर जोर देते हुए किसानों को प्रशिक्षित करने की बात कही।
खाद के बदले पराली अभियान की सफलता
कार्यशाला के दौरान पशुपालन विभाग ने “खाद के बदले पराली” अभियान की उपलब्धियों की जानकारी दी। यह अभियान 28 अक्टूबर से 30 नवंबर 2024 तक संचालित किया गया, जिसमें गो-आश्रय स्थलों से 1,55,380.25 कुंतल गोवंश खाद किसानों को वितरित की गई। इसके बदले किसानों से 2,90,208.16 कुंतल पराली प्राप्त की गई। यह पहल पराली प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।
सीबीजी प्लांट्स की प्रगति
उत्तर प्रदेश न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (यूपीनेडा) ने जानकारी दी कि प्रदेश में 24 कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट वर्तमान में कार्यशील हैं, जबकि 106 प्लांट निर्माणाधीन हैं। ये प्लांट न केवल पर्यावरण की रक्षा करेंगे, बल्कि बायोगैस उत्पादन से ऊर्जा संकट को भी कम करेंगे।
विशेषज्ञों और किसानों के सुझाव
कार्यशाला के दौरान वैज्ञानिकों, विषय विशेषज्ञों, एफपीओ और बायोगैस प्लांट्स के पदाधिकारियों ने पराली प्रबंधन और वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए अपने अनुभव साझा किए। किसानों ने अपनी व्यावहारिक समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा की।
उच्चाधिकारियों की उपस्थिति
इस कार्यशाला में प्रमुख सचिव कृषि श्री रवीन्द्र, प्रमुख सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन श्री अनिल कुमार, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव श्री संजीव कुमार सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
निष्कर्ष
कार्यशाला में यह निष्कर्ष निकाला गया कि पराली प्रबंधन और वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए सामूहिक प्रयास और जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। किसानों को प्रोत्साहित करने और नवीन तकनीकों का उपयोग सुनिश्चित करने से पर्यावरण और कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
यह कार्यशाला उत्तर प्रदेश सरकार के सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की एक और कड़ी साबित हुई।