Yashwant Verma Case: यशवंत वर्मा आज करेंगे जांच कमेटी का सामना, अपने बचाव में कह सकते हैं ये 4 बातें
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश बर्निंग मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति के समक्ष पेश हो सकते हैं। वे अपने बचाव में चार आधार प्रस्तुत कर सकते हैं। उन्होंने आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ वकीलों से भी सलाह ली है।
Yashwant Verma Case: कैश कांड से चर्चा में आए जस्टिस यशवंत वर्मा का शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाईकोर्ट जजों की तीन सदस्यीय कमेटी से सामना हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि जस्टिस वर्मा कैश कांड में अपने बचाव में चार आधार पेश कर सकते हैं। वे कह सकते हैं कि घटना वाले दिन वे मौजूद नहीं थे। वे मध्य प्रदेश गए थे और 15 मार्च की शाम को लौटे थे।
जस्टिस वर्मा अपने बचाव में यह भी कह सकते हैं कि वीडियो में जिस तरह से जले हुए नोट दिखाए गए हैं, वापस लौटने पर स्टाफ से ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली। साथ ही घटना के समय घर पर मौजूद स्टाफ ने भी ऐसा कुछ नहीं देखा। उन्हें इस बारे में तभी पता चला जब दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से यह जानकारी दी गई।
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जस्टिस वर्मा अपने बचाव में यह भी कह सकते हैं
इसके साथ ही एक कारण यह भी प्रस्तुत किया जा सकता है कि यदि घटना के दौरान पैसे जलाने से उनका या उनके परिवार का कोई लेना-देना है तो पूरी घटना एक साजिश लगती है। आउटहाउस में मेरी या मेरे परिवार की कोई गतिविधि नहीं होती है। इसका उपयोग आमतौर पर सुरक्षाकर्मी और स्टाफ करते हैं।
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इससे पहले भी दिया था ऐसा ही जवाब
बता दें कि जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट के सीजे की पूछताछ में भी कमोबेश यही जवाब दिया था। तीन सदस्यीय कमेटी के गठन के बाद उन्होंने आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ वकीलों के पैनल से भी विस्तृत राय ली है। उधर, दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रस्तावित तबादले को लेकर बार निकायों के प्रतिनिधियों ने सीजेआई संजीव खन्ना से मुलाकात की।
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कॉलेजियम की सिफारिश वापस लेने की मांग
सूत्रों के अनुसार दोपहर 1.45 बजे सीजेआई कार्यालय में हुई बैठक में बार निकायों ने कॉलेजियम की सिफारिश वापस लेने की मांग की। इससे पहले इलाहाबाद, गुजरात, केरल, जबलपुर, कर्नाटक और लखनऊ हाईकोर्ट के बार निकायों ने सीजेआई को ज्ञापन सौंपकर इस मुद्दे पर चर्चा के लिए समय मांगा था।
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एफआईआर दर्ज न होने पर भी उठे सवाल
बार संगठनों ने जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर कथित तौर पर सबूतों से छेड़छाड़ का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने 14 मार्च को उनके आवास पर आग लगने की घटना के दौरान मिले नकदी के बंडलों के कथित तौर पर जलाए जाने की जांच की मांग की। उन्होंने मामले में एफआईआर दर्ज न किए जाने पर भी सवाल उठाए।
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