नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अदालत ने बृहस्पतिवार को टेरर फंडिंग मामले में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक को दोषी करार दिया है। एनआईए कोर्ट उसे सजा 25 मई को सुनाएगी। यासीन ने 11 मई को कबूले थे लगे आरोपअदालत के समक्ष अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था।
आतंकी अलगाववादी यासीन मलिक ने टेरिंग फंडिंग मामले में एनआईए अदालत के सामने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, हिंसा फैलाने और अलगाव आंदोलन से जुड़े होने के आरोपों को स्वीकार किया था, इसलिए अदालत में उसके खिलाफ ट्रायल नहीं हुआ और उसकी अपराध स्वीकारोक्ति पर दोषी करार दे दिया गया है। एनआईए अदालत ने आईपीसी की धारा 120 बी, 121,121ए, और यूपीपीए की धारा 13,16, 17, 18,29, 38, 39 और 40 के तहत गुनाहगार माना है।
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इस मामले के बाकी आरोपियों लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद, हिजबुल मजाहिदीन चीफ सैयद सलाउदीन, अलगाववादी नेता शब्बीर शाह, मर्सरत आलम, फारुख अहमद डार, मोहम्मद युसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ शाह, अकबर खांड़े, मेहराजुद्दीन कलवाल के खिलाफ मुकदमा चलेगा। इन आरोपियों में लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक हाफिज सईद, हिजबुल मजाहिदीन का चीफ सैयद सलाउदीन पाकिस्तान में होने के कारण अदालत से पहले ही इन्हें भगौड़ा करार चुकी है।