UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER: साल 2024: आपदाओं की मार झेलता उत्तराखंड, 150 करोड़ से अधिक का नुकसान और सैकड़ों गईं जान
UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER: साल 2024 उत्तराखंड के लिए आपदाओं से भरा साल साबित हुआ। राज्य ने प्राकृतिक आपदाओं के कहर का गहरा दर्द झेला। उत्तरकाशी जिले में आई आपदाओं ने लोगों को झकझोर कर रख दिया, जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे धार्मिक स्थलों पर मची तबाही ने श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों को भयभीत कर दिया।
UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER : उत्तराखंड, जिसे प्रकृति की गोद में बसा एक सुंदर राज्य कहा जाता है, 2024 में आपदाओं की मार झेलता रहा। प्राकृतिक आपदाओं ने न केवल मानव जीवन को छति पहुंचाई बल्कि राज्य के बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान पहुंचाया। साल भर हुई घटनाओं में 82 लोगों ने जान गंवाई, जबकि 28 लोग अभी भी लापता हैं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य को कुल 154 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। राहत के लिए अब तक 600 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।
उत्तराखंड: आपदाओं का संवेदनशील केंद्र
उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में स्थित एक संवेदनशील राज्य है, जो हर साल भूस्खलन, बादल फटने, बाढ़ और सड़क दुर्घटनाओं जैसी घटनाओं का सामना करता है। साल 2024 में प्राकृतिक आपदाओं की शुरुआत मानसून से पहले ही हो गई थी। मानसून सीजन में इन घटनाओं की संख्या और प्रभाव में भारी इजाफा देखा गया। उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, टिहरी और कुमाऊं क्षेत्र में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
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आपदा का भयावह चेहरा: उत्तरकाशी और यमुनोत्री में हाहाकार
उत्तरकाशी जिला इस साल आपदाओं का मुख्य केंद्र रहा। 25 जुलाई की रात यमुनोत्री धाम में बादल फटने और भूस्खलन से 18 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। गंगोत्री धाम में भी मानसून के दौरान 9 करोड़ रुपये की क्षति हुई। वरुणावत पर्वत पर भूस्खलन ने अगस्त और सितंबर के महीनों में फिर से लोगों को डरा दिया, जिसके लिए 5 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया।
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टिहरी में लैंडस्लाइड से बची सैकड़ों जानें
टिहरी जिले के बूढ़ा केदार क्षेत्र में 24 से 27 जुलाई के बीच भारी बारिश और भूस्खलन से स्थिति भयावह हो गई। जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन की तत्परता से एक पूरे गांव को समय रहते खाली करवाया गया, जिससे सैकड़ों जानें बचाई जा सकीं। इसके बावजूद, 17 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया गया।
केदारघाटी: 2013 की यादें ताजा
31 जुलाई को केदारघाटी में हुई भारी बारिश और भूस्खलन ने 2013 की आपदा की यादें ताजा कर दीं। केदारनाथ यात्रा के दौरान 15,000 से अधिक तीर्थयात्री घाटी में फंसे हुए थे। भारतीय वायुसेना और आपदा प्रबंधन के संयुक्त प्रयासों से चार दिन तक चले रेस्क्यू अभियान में इन सभी को सुरक्षित निकाला गया। इस घटना में 48 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
कुमाऊं क्षेत्र में अतिवृष्टि का कहर
कुमाऊं क्षेत्र, विशेषकर उधम सिंह नगर और चंपावत जिले, ने भी भारी नुकसान झेला। उधम सिंह नगर में 21 करोड़ रुपये और गौला नदी के किनारे खेल विभाग के स्टेडियम को बचाने के लिए 36 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया।
साल भर में सैकड़ों जानें गईं
साल 2024 में प्राकृतिक आपदाओं और सड़क दुर्घटनाओं में कुल 596 लोगों ने अपनी जान गंवाई। इसमें चारधाम यात्रा के दौरान 226 मौतें और मानसून सीजन में 82 मौतें शामिल हैं।
क्या सीखा और आगे की रणनीति
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UDMA) ने इस साल कई सुधार किए। आपदा राहत राशि का वितरण अब तेजी से किया जा रहा है। तकनीकी स्तर पर अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को मजबूत किया गया है। भविष्य की रणनीति के तहत, पिछले 10-15 वर्षों की आपदाओं का डेटा इकट्ठा करके उनके विश्लेषण पर काम किया जा रहा है।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि “सरकार लगातार आपदा प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है। टिहरी में जिला प्रशासन की तत्परता ने बड़ी दुर्घटना को टालने में मदद की। हम भविष्य में और बेहतर तकनीक और योजनाओं के साथ तैयार रहेंगे।”
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