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Yoga Guru Shivanand Baba Demise: वाराणसी में 128 वर्षीय बाबा शिवानंद का निधन ,2022 में पद्मश्री से हुए थे सम्मानित

अपनी अद्भुत जीवन शैली के लिए चर्चित रहने वाले देश के सबसे बुजुर्ग योग गुरु स्वामी शिवानंद का शनिवार को गोलोकवास हो गया। वह 128 वर्ष के थे और पिछले तीन दिनों से बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के मेडिकल कालेज में भर्ती थे। उन्हें सांस लेने में तकलीफ के चलते भर्ती कराया गया था।

Yoga Guru Shivanand Baba Demise: वाराणसी में 128 वर्षीय योग गुरु बाबा शिवानंद का शनिवार रात 8:45 बजे निधन हो गया। वह पिछले तीन दिनों से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में भर्ती थे, जहां उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।
बाबा शिवानंद ने अपना संपूर्ण जीवन योग साधना को समर्पित कर दिया था। उन्होंने एक सादा जीवन जिया और आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी योग साधना के प्रशंसक थे। उन्हें 21 मार्च, 2022 को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था, और वह इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को प्राप्त करने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि योग साधक और काशी के निवासी शिवानंद बाबा जी के निधन से उन्हें अत्यंत दुख हुआ है। उन्होंने कहा कि योग और साधना के प्रति समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि योग के माध्यम से समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने बाबा शिवानंद के निधन को काशी और उनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोगों के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया और इस दुख की घड़ी में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
बाबा शिवानंद वाराणसी के भेलूपुर इलाके के कबीर नगर में स्थित अपने आश्रम में रहते थे। उनका अंतिम संस्कार वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर किया जाएगा।


बाबा शिवानंद की लंबी जीवन यात्रा में एक दुखद पहलू भी था। उनका जन्म 8 अगस्त, 1896 को पश्चिम बंगाल के श्रीहट्टी में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जो वर्तमान में बांग्लादेश में है। उनके माता-पिता भिक्षावृत्ति करके अपना जीवन यापन करते थे। जब वह चार वर्ष के थे, तो उनके माता-पिता ने उनकी बेहतर परवरिश के लिए उन्हें नवद्वीप के बाबा ओंकारनंद गोस्वामी को सौंप दिया था।

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छह वर्ष की आयु में, उन्होंने भूख के कारण अपने माता-पिता और बहन को खो दिया। इसके बाद, उन्होंने अपने गुरु के सानिध्य में आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की और उनकी प्रेरणा से आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया। बाबा शिवानंद ने अपना पूरा जीवन योग साधना में बिताया। वह साधारण भोजन करते थे और एक योगी जैसी जीवनशैली का पालन करते थे। चाहे वह कहीं भी रहें, चुनाव के दिन वाराणसी आकर अपने मताधिकार का प्रयोग करना वह कभी नहीं भूलते थे। इस वर्ष की शुरुआत में उन्होंने प्रयागराज में महाकुंभ में भाग लिया और पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई थी।

अपनी वृद्धावस्था के बावजूद, वह कठिन योगासन आसानी से कर लेते थे। वह भगवान शिव के भक्त थे। बाबा शिवानंद प्रतिदिन सुबह 3 से 4 बजे के बीच उठ जाते थे। इसके बाद, वह स्नान करके ध्यान और योग क्रियाएं करते थे। वह अपने भोजन में सादा और उबला हुआ भोजन ही लेते थे और चावल का सेवन नहीं करते थे। उनका कहना था कि ईश्वर की कृपा से उन्हें किसी भी चीज से लगाव और तनाव नहीं है। उनका मानना था कि इच्छा ही सभी समस्याओं का मूल कारण है। बाबा शिवानंद कभी स्कूल नहीं गए, और उन्होंने जो कुछ भी सीखा, अपने गुरु से ही सीखा। वह अंग्रेजी भी अच्छी तरह से बोल लेते थे।


21 मार्च, 2022 को दिल्ली में आयोजित एक समारोह में, जब राष्ट्रपति द्वारा 128 विशिष्ट व्यक्तियों को पद्म सम्मान दिए जा रहे थे, तो सबसे अधिक चर्चा वाराणसी के बाबा शिवानंद की हुई। उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। बाबा शिवानंद की सादगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह पुरस्कार लेने के लिए नंगे पैर राष्ट्रपति भवन गए थे। पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद, उन्होंने घुटनों के बल बैठकर प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया था। प्रधानमंत्री मोदी भी उनके सम्मान में अपनी कुर्सी छोड़कर झुक गए थे। जब बाबा शिवानंद राष्ट्रपति के सामने झुके, तो तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें झुककर उठाया था।

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Written by । Prachi chaudhary । National Desk

2020.. पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद प्राची चौधरी पिछले 3 साल से एंटरटेनमेंट पत्रकार हैं। फिल्मी कीड़ा होना न केवल उनके पेशे का हिस्सा है, बल्कि उनका जुनून भी है। साथ ही, बॉलीवुड और टीवी की शौकीन, उनके पास दिलचस्प गपशप और सेलेब्स के बारे में जानकारियों का पिटारा है। वह इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि वेबसाइट पर आने वाले रीडर्स क्या देख रहे हैं। बाकी 'जर्नलिस्ट बनी ही इसलिए ताकि दुनिया के दिल के करीब रहूं।'

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2020.. पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद प्राची चौधरी पिछले 3 साल से एंटरटेनमेंट पत्रकार हैं। फिल्मी कीड़ा होना न केवल उनके पेशे का हिस्सा है, बल्कि उनका जुनून भी है। साथ ही, बॉलीवुड और टीवी की शौकीन, उनके पास दिलचस्प गपशप और सेलेब्स के बारे में जानकारियों का पिटारा है। वह इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि वेबसाइट पर आने वाले रीडर्स क्या देख रहे हैं। बाकी 'जर्नलिस्ट बनी ही इसलिए ताकि दुनिया के दिल के करीब रहूं।'

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