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Punjab-Haryana Water Dispute: ‘आप बीबीएमबी के काम में दखल नहीं दे सकते’, जल विवाद पर हाईकोर्ट ने लगाई पंजाब सरकार को फटकार

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने बीबीएमबी के कार्यों में पंजाब सरकार के हस्तक्षेप पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार बीबीएमबी के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। हरियाणा को पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। न्यायालय ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार को अपनी आपत्तियां केंद्र सरकार के माध्यम से दर्ज करानी चाहिए और सीधे हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

Punjab-Haryana Water Dispute: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने भाखड़ा नांगल बांध और लोहंद नियंत्रण कक्ष के संचालन में पंजाब सरकार के कथित हस्तक्षेप पर अपना फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

मुख्य न्यायाधीश शील नागू व न्यायाधीश सुमित गोयल की खंडपीठ ने तीन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया। बीबीएमबी की तकनीकी समिति की 23 अप्रैल 2025 को हुई बैठक में हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया था। इस पानी में राजस्थान व दिल्ली का हिस्सा भी शामिल था।

बाद में 24 अप्रैल को बीबीएमबी ने इस निर्णय की पुष्टि की। हालांकि पंजाब ने इसका विरोध करते हुए कहा कि हरियाणा व राजस्थान अपने तय हिस्से से अधिक पानी की मांग कर रहे हैं।

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बीबीएमबी ने खटखटाया था हाईकोर्ट का दरवाजा

1 मई को पंजाब पुलिस द्वारा भाखड़ा नांगल बांध और लोहंद नियंत्रण कक्ष पर कथित रूप से नियंत्रण कर लेने की घटना ने स्थिति को और जटिल बना दिया। बीबीएमबी ने इसे अपने अधिकारों में अवैध हस्तक्षेप बताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके साथ ही हरियाणा के वकील रविंदर सिंह और फतेहाबाद के मताना गांव की पंचायत ने भी हरियाणा को आवश्यक जलापूर्ति की मांग को लेकर जनहित याचिकाएं दायर कीं।

अपने विस्तृत फैसले में हाईकोर्ट ने पंजाब को बीबीएमबी के काम में दखलंदाजी न करने और सिर्फ सुरक्षा इंतजामों तक ही सीमित रहने का निर्देश दिया। कोर्ट ने साफ किया कि बांध की सुरक्षा के नाम पर इसके संचालन में बाधा डालना स्वीकार्य नहीं है।

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साथ ही पंजाब को 2 मई को भारत सरकार के गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक के फैसले का पालन करने का आदेश दिया, जिसमें हरियाणा के लिए 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का फैसला लिया गया था।

आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है, लेकिन सीधे हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता: कोर्ट

कोर्ट ने अपने फैसले में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड नियम, 1974 का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि बीबीएमबी एक केंद्रीय निकाय है और इसका नियंत्रण केंद्र सरकार के अधीन है। किसी भी असहमति की स्थिति में राज्य सरकार को केंद्र के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज करानी चाहिए और सीधे हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

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पंजाब की ओर से दलील दी गई कि उन्होंने बांध की सुरक्षा के लिए ही पुलिस भेजी थी और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य की है। वहीं हरियाणा ने पेयजल संकट को उजागर करके पानी की मांग को उचित ठहराया। केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने अदालत को बताया कि यह पानी दिल्ली और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों के लिए भी जीवन रेखा है।

सुझाव दिया गया कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए भाखड़ा बांध की सुरक्षा अर्धसैनिक बलों को सौंप दी जानी चाहिए। न्यायालय ने इस सुझाव पर कोई आदेश नहीं दिया, बल्कि इसे बीबीएमबी और केंद्र सरकार के विचारार्थ छोड़ दिया।

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