नई दिल्ली: एक मशहूर शेर है ‘ये इश्क़ नहीं आसां, बस इतना समझ लीजिए, इक आग का दरिया है और डूब कर जाना है।’ यानी इश्क़ का सफ़र आसान नहीं होता। इसमें क़दम-क़दम पर परेशानियां हैं। प्यार में कभी अपने, तो कभी सारी दुनिया ही दुश्मन लगती है, लेकिन सच्चे प्रेमी कब हार मानते हैं। वे अपने प्यार के लिए हर बंधन तोड़ देते हैं, अंजाम चाहे जो हो।
इश्क दीवानी महिला ग्राम प्रधान भागी
बिहार प्रांत के जनपद सीतामढी के एक गांव खोपराहा में इश्क़ का एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है, जहां महिला ग्राम प्रधान अपने पद-प्रतिष्ठा को ठोकर लगाकर आशिक के साथ फरार हो गयी। यह महिला ग्राम मुखिया दो बच्चों की मां थी, मगर उस पर इश्क का भूत ऐसा सवार हुआ, कि वह, बच्चों, पति और गांव वालों के मान-सम्मान का पलीता लगाने से भी बाज नहीं आयी।
ग्राम मुखिया लोक-लाज भूली
सीतामढी के गांव खोपराहा की ग्राम मुखिया रेखा देवी की गांव के विकास में कोई रूचि नहीं थी। जब उसके पड़ौसी युवक से नैन लड़े, तो वह उसकी ऐसी दीवानी हुई कि लोक-लाज सब भूल गयी। इस महिला प्रधान को अपने बच्चों, घर-परिवार, पति और संवैधानिक दायित्वों के ज्यादा आशिक संग रंगरलियां मनाना ज्यादा भाया।
आसपास के गांवों में मुखिया के इश्क़ के चर्चे
युवा और तेज-तरार महिला मुखिया बनने पर ग्रामीणों को उम्मीद थी कि रेखा देवी गांव में विकास कार्य करायेगी, लेकिन प्रेमी के साथ भाग जाने पर घर-परिवार के साथ-साथ, ग्रामीणों को भी शर्मिन्दा होना पड़ रहा है। खोपराहा गांव के आसपास के गांवों के लोग चटकारे लेकर इस महिला मुखिया के इश्क़ के चर्चे कर रहे हैं, जिससे खोपराहा के ग्रामीणों को शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ रहा है।
पद-प्रतिष्ठा के अनुरूप व्यवहार जरूरी
समाज में बेशक सबको प्यार करने का हक़ है, लेकिन यदि प्यार में मर्यादा लांघ दी जाए, तो समाज इसे स्वीकार नहीं करता। प्यार का भी अपना दायरा है। प्यार में जो कृत्य हमें समाज की नज़रों से गिरा दे, उसे कभी जायज़ नहीं कहा जा सकता। हम सबको अपने पद-प्रतिष्ठा के अनुरूप कार्य करना ही शोभा देता है। वह कार्य चाहे सामाजिक हो या फिर दिल से जुड़ा यानी प्यार से संबंधित हो।