वाराणसी: जिला एवं सत्र न्यायालय के जज डॉ. एके विश्वेश में सोमवार को ज्ञानवापी श्रंगार गौरी-मस्जिद मामले में आर्डर 7 रुल, 11 के तहत (मामले के चलाये के योग्य होने अथवा न होने) पर सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपनी दलीलें पूरी की। इसके बाद हिन्दू पक्ष के अधिवक्ताओं से अपनी दलीलें पेश करने को कहा गया, लेकिन समयाभाव के कारण वे अपनी दलील नहीं रख सके। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारीख निर्धारित की है।
आज अदालत में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षकारों, अधिवक्ताओं सहित कुल 43 लोग उपस्थित रहे। मुस्लिम पक्ष की ओर से द प्लेस आफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन्स) एक्ट 1991 का हवाला दिया और इस संबंध में पुराना फैसले को पढकर सुनाया। करीब दो घंटे तक हुई सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता अपनी दलीलें देते रहे। बीच-बीच में हिन्दू पक्ष के वकील कुछ तथ्यों पर अपना विरोध भी जताते रहे। इस मामले की पोषणीय होने अथवा न होने पर का फैसला 4 जुलाई को हिन्दू पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद सुनाया जा सकेगा।
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इस प्रकरण की पोषणीय पर कोई फैसला के बाद ही श्रृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा करने की अनुमति देने की मांग, कोर्ट कमीशन सर्वे में मिले शिवलिंग की लंबाई-चौड़ाई के लिए सर्वे किये जाने और वजूखाने के तालाब की जीवित मच्छलियों को दूसरी जगह शिफ्ट किये जाने संबंधी अर्जियों पर भी सुनवाई हो सकती है। अदालत ने अभी तक कोर्ट सर्वे रिपोर्ट, फोटो और वीडियों को दोनों पक्षों को दिये जाने संबंधी कोई लिखित आदेश भी नहीं दिया है।