Maharashtra Political Crisis: पिछले छह दिन से महाराष्ट्र में सियासी संग्राम जारी है। हर रोज मुंबई में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे समर्थक शिवसेना नेताओं, सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठकों का दौर जारी है और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस भी अपनी पार्टी नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं, लेकिन राजनीतिक संकट को हल निकलता नजर नहीं आ रहा है।
उधर उद्धव ठाकरे सरकार के बागी कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे अपने समर्थक शिवसेना विधायकों के साथ गुवाहाटी में बैठके करने के साथ ही बीजेपी नेताओं व पूर्व मुख्य देवेन्द्र फडणनीस से साथ लगातार संपर्क में हैं। इसके बावजूद न तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने समर्थक विधायकों की संख्या के आधार पर अपनी सरकार को बरकरार रखने के लिए आशावान हैं, और न ही अभी तक बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बनाने के ही संकेत दे पाये हैं।
ये बात अलग है कि शिवसेना सांसद संजय राउत इस सारे प्रकरण को लेकर बागी शिवसेना विधायकों को लेकर आक्रामक तेवर अपनाये हुए हैं। राउत के बयान न केवल भड़काऊ व धमकी भरे हैं, बल्कि उन बयानों में उनकी कुंठा भी दिखती है। शिवसैनिकों द्वारा बागी विधायकों दीपक केसरकर, एकनाथ शिंदे के सांसद पुत्र श्रीकांत शिंदे और दूसरे विधायकों के दफ्तरों पर की गयी तोड़फोड़ के लिए संजय राउत का ही हाथ बताया जा रहा है।
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संजय राउत एक तरफ कहते हैं कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार बची रहेगी, वहीं दूसरी तरफ बागियों के संदर्भ में कहते हैं कि जो होता है, उसे होने दो, जो करता है, उसे करने दो। आखिर बागियों को एक न एक दिन मुंबई तो आना ही होगा, यहां लाखों शिवसैनिक उनका इंतजार कर रहे हैं। यह एक तरह से वे सीधे-सीधे बागी विधायकों का धमकाकर उनको दवाब में लेने की कोशिश कर रहे है, लेकिन शिंदे गुट है कि इस कीमत पर दबने अथवा झुकने को तैयार नही हैं।
महाराष्ट्र में छह दिन बाद भी राजनीतिक संकट का कोई हल न निकलता देख अब भाजपा ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरु कर दिया है। उम्मीद है कि जल्द ही महाराष्ट्र में सरकार पर मंडरा रहे खतरे के बादल छंटकर नये राजनीतिक दृश्य देखने को मिल सकता है।