Emergency Anniversary: देश में आपातकाल 48 साल हो गए। आज के ही दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने देश में आपातकाल की घोषणा करते हुए जनता के मौलिक अधिकार पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया था। आजाद भारत के इतिहास में इसे काढ़ा दिन के रूप किया जाता है। मिस्र की यात्रा पर गये पीएम मोदी ने एक ट्वीट करते हुए आपातकाल को याद किया है और उन लोगों को श्रद्धांजलि दी है जिन्होंने आपातकाल का भारी विरोध किया था। पीएम मोदी ने लिखा है कि ‘मै उन लोगों को श्रद्धांजलि देता हूँ जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और देश में लोकतंत्र की भावना को मजबूत करने के लिए काम किया। आपातकाल हमारे देश के इतिहास का न भुला सकने वाला समय है जो संविधान के मूल्यों के पूरी तरह खिलाफ है। ‘
उधर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कांग्रेस को घेरा है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि 25 जून 1975 को एक परिवार ने अपने तानाशाही रवैये के कारण देश के महान लोकतंत्र की हत्या की और आपातकाल जैसा कलंक थोपा था। जिसकी निर्दयता ने सैकड़ों वर्षों के विदेशी शासन के अत्याचार को भी पीछे छोड़ दिया था। ऐसे कठिन समय में असीम यातनाएं सहकर लोकतंत्र की स्थापना के लिए
उधर संघ के मुखपत्र पांचजन्य ने अपने कवर पेज पर इंदिरा गाँधी की तुलना हिटलर से की है। कवर पेज पर हिटलर और इंदिरा गाँधी की तस्वीर लगाईं गई है। इसका टाइटल हिटलर गाँधी रखा गया है। पत्रिका के पेज पर लिखा गया है कि हिटलर के जघन्य अपराधों को नकारने या भुलाने पर यूरोप में कई जगह क़ानूनी पाबन्दी है। ये उनके लिए अस्तित्व रक्षा का सवाल है। यही स्थिति भारत में इंदिरा गाँधी के लगाए गए आपातकाल की है जिसे भूलना लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकता है।
पत्रिका में जयप्रकाश नारायण की हाथ में हथकड़ी लगी फोटो भी है। जिसका टाइटल ‘वह भयावह कहानी ‘ दिया है। इसमें लिखा गया है कि ”अगर यूरोप नाजीवाद और फासीवाद के सच को विस्मृत कर देगा तो वहां फिर से वही सब होने से बचना संभव नहीं रह जायेगा। यही स्थिति भारत के साथ है। अगर हम आपातकाल को विस्मृत कर देंगे तो हमारे लिए भी लोकतंत्र को बचाये रखना संदिघ्ध हो जायेगा। ”