यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) सेवा (Service) पर लेनदेन शुल्क लागू करने की संभावना को लेकर लोकलसर्किल्स द्वारा किए गए सर्वे(Survey) में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। सर्वे में 75 प्रतिशत उपयोगकर्ताओं(Consumers) ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि UPI सेवाओं पर ट्रांजेक्शन(Transcations) चार्ज(Charge) लगाया गया, तो वे इसका उपयोग बंद कर देंगे। 308 जिलों से 42,000 लोगों की भागीदारी वाले इस सर्वे से यह स्पष्ट हुआ है कि UPI पर शुल्क लागू करना आम उपभोक्ताओं(Consumers) के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
75% यूजर्स का विरोध
सर्वे के अनुसार, मात्र 22 प्रतिशत UPI उपयोगकर्ता लेनदेन शुल्क के बोझ को सहन करने के लिए तैयार हैं, जबकि 75 प्रतिशत लोगों ने साफ कहा कि यदि UPI पर कोई चार्ज लगाया जाता है, तो वे इस प्लेटफॉर्म का उपयोग पूरी तरह से बंद कर देंगे। UPI के लोकप्रिय होने की मुख्य वजह इसका निःशुल्क और तेज़ लेनदेन का तरीका है, जो उपभोक्ताओं को अन्य भुगतान साधनों जैसे डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, या अन्य डिजिटल माध्यमों के मुकाबले अधिक सुविधाजनक लगता है। अगर इस सेवा पर चार्ज लगाया जाता है, तो यह कई उपयोगकर्ताओं(Consumers) के लिए आर्थिक रूप से बोझिल साबित हो सकता है और वे दूसरे विकल्पों की तरफ रुख कर सकते हैं।
UPI का बढ़ता लेन-देन वॉल्यूम
सर्वे के अनुसार, 2023-24 में UPI लेन-देन में जोरदार उछाल दर्ज किया गया है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में UPI लेन-देन की संख्या में 57 प्रतिशत और इसके मूल्य में 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह पहली बार है जब किसी वित्तीय वर्ष में UPI लेन-देन का आंकड़ा 100 अरब को पार कर गया, जहां 2023-24 में 131 अरब लेन-देन दर्ज हुए, जबकि 2022-23 में यह संख्या 84 अरब थी। मूल्य के आधार पर, यह 1,39,100 अरब रुपये से बढ़कर 1,99,890 अरब रुपये तक पहुंच गया, जो यह दर्शाता है कि UPI अब देश के सबसे महत्वपूर्ण भुगतान माध्यमों में से एक बन चुका है।
UPI पर निर्भरता बढ़ी, लेकिन शुल्क का कड़ा विरोध
सर्वे के अनुसार, करीब 38 प्रतिशत उपयोगकर्ताओं ने बताया कि वे अपने आधे से ज्यादा भुगतान UPI के जरिए ही करते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि UPI न केवल शहरी क्षेत्रों में बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी डिजिटल भुगतान का प्रमुख माध्यम बन चुका है। दस में से चार लोग अपने कुल भुगतान का 50 प्रतिशत या उससे अधिक UPI के जरिए ही करते हैं। इस निर्भरता को देखते हुए, UPI पर किसी भी प्रकार का डायरेक्ट या इनडायरेक्ट शुल्क लगाने का विरोध लगातार बढ़ रहा है।
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि UPI धीरे-धीरे 10 में से चार उपभोक्ताओं के लिए भुगतान का अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है। यही कारण है कि किसी भी प्रकार का लेन-देन शुल्क लगाने का कड़ा विरोध हो रहा है। UPI पर निर्भरता का यह स्तर भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटल भुगतान के महत्व को दर्शाता है, जो कैशलेस अर्थव्यवस्था की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सरकार और रिजर्व बैंक के लिए संदेश
लोकलसर्किल्स ने इस सर्वे के निष्कर्षों को वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ साझा करने का निर्णय लिया है। रिपोर्ट का उद्देश्य UPI उपयोगकर्ताओं की नब्ज को समझना और किसी भी MDR (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) शुल्क को लागू करने से पहले उनकी चिंताओं को ध्यान में रखना है। सर्वे में यह सुझाव दिया गया है कि UPI सेवा पर किसी भी प्रकार का शुल्क लागू करना उपभोक्ताओं की डिजिटल भुगतान प्रणाली पर निर्भरता को प्रभावित कर सकता है और इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है।
यह सर्वे 15 जुलाई से 20 सितंबर 2024 के बीच ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया था, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लेकर अपने विचार रखे। इसका मकसद UPI उपयोगकर्ताओं की मौजूदा स्थिति और संभावित शुल्क के प्रभावों का विश्लेषण करना था।