Maha kumbh 2025: प्रयागराज में आस्था के 84 स्तंभ: मोक्ष का मार्ग और पौराणिक मान्यता
Maha khumb 2025: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां ज़ोरों पर हैं और आस्था के इस महायज्ञ में एक अनोखी पहल की जा रही है। महाकुंभ से हवाई अड्डे तक के मार्ग पर 84 विशेष खंभे लगाए जा रहे हैं, जिन्हें ‘आस्था के स्तंभ’ का नाम दिया गया है। इन खंभों को अद्वितीय डिज़ाइन के साथ तैयार किया गया है, और इनके पीछे गहरी आध्यात्मिक मान्यता जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जा रहा है कि इन स्तंभों की परिक्रमा करने से व्यक्ति को 84 लाख योनियों के चक्र से मुक्ति की अनुभूति होगी।
Mahakumbh 2025: प्रयागराज, जिसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व प्राप्त है, इन दिनों अपने 84 स्तंभों की वजह से चर्चा में है। कहा जाता है कि इन स्तंभों के दर्शन और पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मान्यता न केवल धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है, बल्कि श्रद्धालुओं के दिलों में भी गहराई से बसी हुई है। आइए जानते हैं इन स्तंभों की पौराणिक कथा, धार्मिक महत्व, और इससे जुड़ी आस्था का गहराई से अध्ययन।
पौराणिक कथा और मान्यता
प्रयागराज त्रिवेणी संगम का स्थल है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का मिलन होता है। यह स्थान सदियों से तीर्थ यात्रियों और साधकों के लिए मोक्ष प्राप्ति का केंद्र रहा है। 84 स्तंभों की कथा का संबंध पौराणिक काल से है। कहा जाता है कि यह स्तंभ देवताओं और ऋषियों द्वारा निर्मित हैं, जो सृष्टि के विभिन्न युगों और घटनाओं के प्रतीक माने जाते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति इन 84 स्तंभों का दर्शन करता है और उनमें अपनी आस्था व्यक्त करता है, उसे 84 लाख योनियों से मुक्ति मिलती है। ये स्तंभ प्रतीकात्मक रूप से जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
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84 स्तंभों का महत्व
यह 84 स्तंभ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। हर स्तंभ पर अलग-अलग धार्मिक प्रतीक और कथाएं उकेरी गई हैं, जो हिंदू धर्म की विविधता और समृद्ध परंपरा को दर्शाती हैं।
इन स्तंभों के निर्माण के पीछे यह धारणा है कि प्रत्येक स्तंभ एक विशेष कर्म, गुण, या पाप से जुड़ा है। व्यक्ति जब इन स्तंभों की पूजा करता है, तो वह अपने कर्मों का प्रायश्चित कर सकता है और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है।
तीर्थयात्रियों का अनुभव
प्रयागराज में इन स्तंभों को देखने और पूजा करने के लिए प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि इन स्तंभों के दर्शन मात्र से उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। संगम पर स्नान और 84 स्तंभों की पूजा एक प्रकार की आध्यात्मिक यात्रा है, जो व्यक्ति को आंतरिक शांति और सुख प्रदान करती है।
श्रद्धालु इस यात्रा को अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक अनुभव मानते हैं। उनका कहना है कि इन स्तंभों की आभा और ऊर्जा इतनी प्रबल है कि इसे महसूस करना शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
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आधुनिक संदर्भ में महत्व
आज के समय में, जब लोग आध्यात्मिकता और धर्म से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे में 84 स्तंभ एक प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं। यह न केवल लोगों को उनके धार्मिक मूल्यों से जोड़ते हैं, बल्कि उन्हें अपने जीवन की दिशा के बारे में विचार करने का भी अवसर देते हैं।
सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इन स्तंभों की देखभाल और प्रचार-प्रसार के लिए विशेष प्रयास किए हैं। संगम के आसपास का क्षेत्र धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है, जिससे न केवल धार्मिक जागरूकता बढ़ रही है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिल रहा है।
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