West Bengal (पश्चिम बंगाल)

बंगाल नाम ब्रह्मपुत्र और गंगा के कारण पड़ा है. प्राचीन समय में ब्रह्मपुत्र और गंगा नदी के बीच मैदानी हिस्से में रहने वाले लोगों को ब्रंगा निवासी कहा जाता था. इसका अपभ्रंश होते होते ये बंगाल हो गया और यहां बोली जाने वाली भाषा बंगाली हो गई. आजादी के बाद बंगाल दो हिस्सों में बंट गया पूर्वी हिस्सा बांग्लादेश और पश्चिमी हिस्सा पश्चिम बंगाल कहा जाने लगा.पहले ये प्रदेश शैव और शाक्त संप्रदाय के लोगों का मुख्य केंद्र था. शाक्त संप्रदाय की तंत्र विद्या साधकों का ये मुख्य स्थान था. बाद में यहां वैष्णव संप्रदाय भी लोकप्रिय हुआ. नारी शक्ति की पूजा यहां प्राचीन समय से प्रचलित है. ये राज्य अद्भुत आध्यात्मिक महापुरुषों के लिए जाना जाता है. रामकृष्ण परमहंस और उनके महान शिष्य स्वामी विवेकानंद, चैतन्य महाप्रभु और उनके शिष्य नित्यानंद प्रभु या गौर निताई, मां तारा के उपासक तांत्रिक बामाखेपा, श्यामाचरण लाहिड़ी या लाहिड़ी महाशय, युक्तेश्वर गिरि और उनके शिष्य परमहंस योगानंद, महर्षि अरविंद, वैज्ञानिक संत डॉक्टर जेसी बोस ऐसे अनगिनत नाम है जिन्होंने इस धरती पर जन्म लिया और दुनिया को आध्यात्मिक ज्ञान और ईश्वर दर्शन का बोध कराया. यहां का विश्व विख्यात दुर्गा पूजा भी प्रकृति और समाज के सभी तबके को सम्मान देने की अद्भुत प्रेरणा और संदेश देता है.

रविन्द्र नाथ टैगोर, नजरुल इस्लाम, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय और शरतचंद्र चट्टोपाध्याय जैसे कला और साहित्य के उपासकों के साथ इस सूबे ने सत्यजीत रे, शशिधर मुखर्जी और ऋषिकेश मुखर्जी तक मनोरंजन जगत के कहानीकार और फिल्मकार दिए हैं. आजादी की लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस का योगदान और उनकी रहस्यमयी रणनीति आज भी चर्चा का विषय है. इनके अलावा खुदीराम बोस, रासबिहारी बोस, विपिन चंद्र पाल जैसे असंख्य क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला दी थी. उत्तराखंड के हिमालय से निकली गंगा इस सूबे में प्रवेश करते ही दो भागों में बंट जाती है. एक हिस्सा पूरब की ओर बहते हुए बांग्लादेश चला जाता है और पद्मा कहलाता है जबकि दूसरा हिस्सा पश्चिम बंगाल में बहते हुए हुगली कहलाता है. फिर दोनों ही हिस्से बंगाल की खाड़ी में जाकर समुद्र में विलिन हो जाते हैं. यहां समुद्र और नदी के मुहाने पर विश्व विख्यात सुंदरवन डेल्टा है जो रॉयल बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध है. ये भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां समुद्र भी है और हिमालय भी है.

पर्यटन

समद्रतल से हिमालय तक इस प्रदेश में घूमने और देखने के बहुतरे स्थान हैं. सबसे खास बात तो ये है कि बंगाली घूमने के शौकिन भी होते हैं. देश-दुनिया में आप कहीं भी जाइए आपको बंगाली पर्यटक ज़रूर मिल जाएंगे.

कोलकाता- ये देश का 300 साल से भी ज्यादा पुराना आधुनिक शहर है. अंग्रेजी शासन में दिल्ली से पहले कोलकाता ही भारत की राजधानी हुआ करता था. इस शहर में पहुंचते ही सबसे पहले हावड़ा ब्रिज दिखाई पड़ता है. हुगली नदी पर बने इस ब्रिज में कोई पिलर नहीं है. ये इतना ऊंचा है कि नीचे से छोटे-बड़े जहाज आसानी से गुजर जाते हैं. इसके अलावा विक्टोरिया मेमोरियल, नेशनल म्युजियम, काली घाट, दक्षिणेश्वर मंदिर, बेलूर मठ और अलीपुर जू पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.

दार्जिलिंग- इस सूबे के उत्तर में बसा हिमालय का ये एक खूबसूरत स्थान है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 2134 मीटर है और यहां बारहों महीने ठंड का मौसम ही रहता है. कंचनजंघा समेतऊंची-ऊंचीहिमालय की चोटियों से घिरा, आकर्षक बौद्ध मठ और पहाड़ी ढलानों पर चाय के खेत इस स्थान को बेहद ही खूबसूरत बना देते हैं. यहां टाइगर हिल, बतासिया लूप, रोप-वे की सवारी, नाइटेंगल पार्क, सिंगालीला राष्ट्रीय उद्यान, तीस्ता नदी में रिवर राफ्टिंग जैसे खेल और स्थान पर्यटकों के लिए मौजूद हैं.

गंगासागर- ये हिंदुओं का पवित्र धार्मिक स्थल है. उत्तराखंड के गंगोत्री से चली गंगा यहां अपना सफर पूरा करती है और समुद्र में मिल जाती है. कोलकाता से 100 किलोमीटर दूर ये स्थान सुंदरबन डेल्टा का एक हिस्सा है. यहां कपिल मुनी का आश्रम है. भारत में कुंभ मेलों के बाद सबसे ज्यादा भीड़ यहीं जुटती है. मकर संक्राति पर यहां ये मेला लगता है.

दीघा- ये इस सूबे का एक लोकप्रिय समुद्र तट है. इस स्थान का विकास गोवा की तर्ज पर किया जा रहा है. यहां पर सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा अद्भुत होता है. यहां का समुद्र तट कम गहराई वाला रेतीला है. करीब एक किलोमटर तक समुद्र का किनारा एकदम सुरक्षित होने के कारण यहां छोटे-बड़े सभी आराम से लहरों का मजा लेते हैं.

सुंदरवन ये भारत से लेकर बांग्लादेश तक फैला गंगा का डेल्टा है. ये पूरा डेल्टा मैंग्रोव के जंगल से आच्छादित है. डेल्टा का पूरा भू-भाग दलदली है. रोजना की ज्वार-भाटा के साथ ही हर साल की बाढ़ इस पूरे इलाके को उपजाऊ और नम कर देती है. ये स्थान टाइगर के लिए फेमस है. यहां के बाघ नदी में तैरकर नाव में बैठे लोगों का भी शिकार कर लेते हैं. टाइगर के अलावा यहां हिरण, मगरमच्छ, शार्क की कई प्रजातियां, 210 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां देखी जा सकती हैं. यहां पर्यटकों को बोट के माध्यम से भी घुमाया जाता है.

शांति निकेतन- भारत में साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता रविन्द्र नाथ ठाकुर की ये कर्मभूमि है. बीरभूम जिले का ये स्थान एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है. यहां संस्कृति और परंपरा को विज्ञान से जोड़कर समझाया जाता है. कई विश्वविख्यात हस्तियां महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, सत्यजीत रे, गायत्री देवी, अमृत्य सेन और गुलाम अली खान जैसी हस्तियां यहां आ चुकी हैं. यहां सालभर लोक संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है. यहां का शांत वातावरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.

व्यवसाय

भारत के तमाम दूसरे राज्यों की तरह ये सूबा भी कृषि प्रधान है. राज्य में हर चार में से तीन आदमी किसी ना किसी रूप में खेती किसानी से जुड़ा है. यहां 65 प्रतिशत ज़मीन कृषि योग्य है. हिमालयी क्षेत्र दार्जिलिंग को छोड़कर बाकी पूरे भू भाग में धान की खेती होती है. देश के कुल चावल उत्पादन का 14 प्रतिशत इसी सूबे की हिस्सेदारी है. दार्जिलिंग में चाय उगाई जाती है.यहां की दूसरी बड़ी व्यवसायिक फसल है जूट. पहले हुगली नदी के दोनों किनारों पर बड़े-बड़े जुट मिल हुआ करते थे. कमजोर उद्योग नीति और कामगारों के लगातार आंदोलनों के चलते जूट उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इसके अलावा गेहूं और आलू भी यहां बहुतायत में पैदा किया जाता है. कृषि आधारित उद्योगों के अलावा यहां कुछ खास नहीं हो सका है उल्टे इस सूबे को उद्योगों का कब्रिस्तान कहा जाता है. भारत की प्रसिद्ध एंबेसेडर कार की फैक्ट्री यहीं पर थी लेकिन 2014 में ये बंद हो गई.

अन्य जानकारियां

पश्चिम बंगाल भारत के उन चुनिंदा राज्यों में है जहां महिला और पुरुष साक्षरता दर में ज्यादा अंतर नहीं है. राज्य की कुल साक्षरता दर 77.1 प्रतिशत है. इसमें पुरुषों की साक्षरता दर 82.7 प्रतिशत है तो महिलाओं की साक्षरता दर 71.2 प्रतिशत है. सूबे में प्रति 1000 पुरुषों में 950 महिलाएं हैं. भारत के जिन गिने-चुने राज्यों ने फुटबॉल को जिंदा रखा है उनमें पश्चिम बंगाल का नाम प्रमुख है. यहां के लोग खेल प्रेमी है, लेकिन फुटबॉल तो लोगों के दिलों में बसता है. मोहन बागान और ईस्ट बेंगॉल क्लब के बीच जब भी मैच होता है पूरा राज्य हिलोरे लेने लगता है. सौरव गांगुली के भारतीय कप्तान बनने के बाद से क्रिकेट में भी इस राज्य के बच्चे रुचि लेने लगे हैं. खेलों के अलावा भोजन, संगीत और कला में भी इस राज्य के लोगों की अभिरुचि प्रसिद्ध है. दुर्गा पूजा के अलावा काली पूजा और वसंत पंचमी यहां के मुख्य त्यौहार हैं.

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