राजस्थान के उदयपुर में 29 मार्च को एक 9 वर्षीय बच्ची के साथ दरिंदगी और फिर उसकी हत्या कर शव को ठिकाने लगाने के लिए टुकड़े-टुकड़े कर फेंकने का शर्मनाक मामलें उदयपुर में बुधवार को जनसैलाब उमड पडा है अपराधी के खिलाफ सख्त कार्रवाई और पीड़ित परिवार को न्याय की मांग पर बुधवार को उदयपुर में लोग एकत्र हुए और विरोध प्रदर्शन किया गया.
क्या है पूरा मामला
उदयपुर के मावली तहसील में कक्षा चार की 9 साल की एक मासूम बच्ची 29 मार्च को शाम करीब 4 बजे स्कूल से आकर खेत के लिए निकली थी. बच्ची खेत पर नही पहुंची तो परिजनों ने उसकी तलाश की. बच्ची के नही मिलने पर परिजनों मे थाने मे मामला दर्ज कराया. पुलिस ने केंस दर्ज करने के बाद उसकी तलाश शुरू कर दी 1 अप्रैल शनिवार देर शाम घर के करीब 200 मीटर दूर तलाश के दौरान एक खंडहर मे बोरे मे रखे टुकडे-टुकडे मे उसका शव मिला. इसके बाद अपराधी को गिरफ्तार किया गया वहीं इस जगन्य हत्याकांड में शामिल अन्य 2 आरोपियों को भी पुलिस ने अपना गिरफ्त में ले लिया.
बता दें कि उदयपुर के मावली कस्बे में नाबालिक के साथ दुष्कर्म कर उसकी निर्मम हत्या की गई थी. इस मामले में आदिवासियों में लगातार विरोध बढ़ता जा रहा है सडको पर जाम लगा दिया है . बुधवार को हजारों की संख्या में आदिवासी जिला कलेक्ट्री के बाहर जमा हुए और प्रदर्शन किया.इसमे युवा से लेकर बुजुर्ग तक सभी के हाथों में तख्तियां थी जिसमे बच्ची के लिए न्याय की गुहार आरोपी को फांसी की सजा करते नजर आए
आदिवासी समाज के लोगो ने की फांसी देने की मांग
आदिवासियों ने कहा पहले भी आदिवासियों के साथ ऐसे कई मामले हुए है और लगातार आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे हैं. लेकिन अभी तक किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई है इससे इन अपराधियों का हौसला बुलंद होता जा रहा है वहीं प्रदर्शन के दौरान करीब 2 घंटे कलेक्ट्री के बाहर आदिवासी समाज के लोग हत्यारे को फांसी देने की मांग करते रहे.
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इस मामले की नही होगी कोई पैरवी
बार एसोसिएशन अध्यक्ष राकेश मोगरा ने बताया कि रेप के बाद हत्या हुई है इसकी हम सभी निंदा करते है उन्होने बताया भील समाज की तरफ से एक पत्र मिला है पत्र के बाद बार एसोसिएशन ने फैसला लिया है उनकी तरफ से इस मामले में कोई पैरवी नहीं करेगा. ऐसा बार एसोसिएशन(Bar association) ने कोई प्रस्ताव नहीं लिया है लेकिन जिस तरह की घटना हुई है. उसके बाद सभी अधिवक्ताओं में इस बात का आक्रोश है कि अगर कोई अधिवक्ता पैरवी नहीं करेगा तो उसे सजा जल्द होगी और दूसरे अपराधी भी इस तरह की वारदातों को करने से पहले 100 बार सोचेंगे.