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Agniveer Murali Naik: देशभक्ति की मिसाल बना मुरली नाइक, 22 साल की उम्र में शहादत की अमर कहानी

जम्मू-कश्मीर की एलओसी पर आतंकियों से लोहा लेते हुए 22 वर्षीय अग्निवीर मुरली नाइक ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर देश के लिए बलिदान दे दिया। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर ज़िले के कल्लिथंडा गांव का यह नौजवान भारत माता की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ। जब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो हर आंख नम और हर गली सन्नाटे में डूबी थी।

Agniveer Murali Naik: जम्मू-कश्मीर की एलओसी पर आतंकियों से लोहा लेते हुए 22 वर्षीय अग्निवीर मुरली नाइक ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर देश के लिए बलिदान दे दिया। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर ज़िले के कल्लिथंडा गांव का यह नौजवान भारत माता की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ। जब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो हर आंख नम और हर गली सन्नाटे में डूबी थी।

सेना में जाने का बचपन से सपना

मुरली नाइक का जन्म 8 अप्रैल 2002 को हुआ था। छोटी उम्र से ही उनके मन में सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का जज़्बा था। दिसंबर 2022 में अग्निपथ योजना के अंतर्गत उन्होंने भारतीय सेना में प्रवेश लिया। नासिक में छह महीने की कठिन ट्रेनिंग के बाद उन्होंने पहले असम में और फिर पंजाब में अपनी सेवाएं दीं।

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गांव में गूंजा ‘अमर रहे’ का स्वर

जब उनका शव गांव पहुंचा, तो हर घर, हर मोड़ पर लोग खड़े होकर “मुरली अमर रहें” के नारे लगा रहे थे। अंतिम यात्रा में राज्य के मंत्री, सांसद, स्थानीय जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। आंध्र प्रदेश के शिक्षा व आईटी मंत्री नारा लोकेश ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और परिजनों से मिलकर संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा, “राज्य मुरली नाइक की वीरता को नमन करता है – उनका बलिदान कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।”

क्या अग्निवीरों को मिलेगा शहीद का दर्जा?

अग्निवीर मुरली नाइक की शहादत ने एक अहम सवाल खड़ा किया है—क्या अग्निवीरों को भी ‘शहीद’ का दर्जा मिलना चाहिए? फिलहाल सरकार की नीति के अनुसार, अग्निवीरों को तकनीकी रूप से ‘शहीद’ घोषित नहीं किया जाता, क्योंकि यह शब्द सरकारी दस्तावेजों में स्पष्ट परिभाषित नहीं है। हालांकि, बलिदान देने वाले अग्निवीरों को सेना की ओर से पूरी सैन्य मर्यादा के साथ अंतिम सम्मान और मुआवज़ा दिया जाता है।

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परिवार को मिलने वाली सहायता

सरकार की ओर से मुरली नाइक के परिजनों को लगभग ₹1.15 करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसमें ₹48 लाख का जीवन बीमा, ₹44 लाख की एकमुश्त अनुग्रह राशि, ₹10–12 लाख की सेवा निधि (ब्याज समेत) और बचे हुए कार्यकाल का वेतन ₹13 लाख शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, परिवार को सामाजिक सुरक्षा, पुनर्वास और अन्य सहायता भी प्रदान की जाएगी।

मुरली नाइक की शहादत देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने दिखा दिया कि देशभक्ति उम्र नहीं, हिम्मत और समर्पण से तय होती है। ऐसे सपूतों के बलिदान को युगों तक याद रखा जाएगा।

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