Liquor Policy Uttarakhand: उत्तराखंड में जनविरोधी शराब की दुकानों पर सख्ती, सरकार ने दिए स्थायी रूप से बंद करने के निर्देश
उत्तराखंड सरकार ने नई आबकारी नीति 2025-26 के तहत उन शराब की दुकानों को स्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है, जहां हर साल जनता विरोध जताती है। यह फैसला मुख्यमंत्री के निर्देश पर जनभावनाओं और महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। सरकार ने जिलों से ऐसी दुकानों की सूची मांगी है और लाइसेंसधारियों को अग्रिम जमा राशि लौटाने की भी बात कही है।
Liquor Policy Uttarakhand: उत्तराखंड सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए राज्य के उन शराब की दुकानों को स्थायी रूप से बंद करने का आदेश दिया है, जहां हर वर्ष स्थानीय जनता की ओर से विरोध किया जाता रहा है। यह कदम राज्य की नई आबकारी नीति 2025-26 के तहत उठाया गया है, जिसमें जनभावनाओं और सामाजिक समरसता को प्राथमिकता दी गई है। आबकारी विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों के आबकारी अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है, ताकि इन दुकानों की पहचान कर उन पर त्वरित कार्रवाई की जा सके।
आबकारी विभाग ने मांगी रिपोर्ट
14 मई की शाम को आबकारी आयुक्त हरि चंद्र सेमवाल ने सभी जिला आबकारी अधिकारियों को एक पत्र जारी किया है। इसमें यह निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने जिलों में ऐसी शराब की दुकानों की जानकारी दें, जिनका हर साल स्थानीय लोग विरोध करते हैं। इस विरोध में अक्सर महिलाओं और सामाजिक संगठनों की भागीदारी रहती है, जो इन दुकानों को समाज के लिए हानिकारक मानते हैं।
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आयुक्त सेमवाल ने पत्र में यह स्पष्ट किया कि यह निर्णय मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार लिया गया है। मुख्यमंत्री ने स्वयं जनआकांक्षाओं और महिलाओं की भावना का सम्मान करते हुए ऐसे स्थानों पर शराब की बिक्री को रोकने का फैसला लिया है।
जनभावनाओं को प्राथमिकता
सरकार ने माना है कि जहां जनता बार-बार शराब की दुकान खोलने का विरोध करती है, वहां समाज में तनाव और असंतोष का माहौल बनता है। विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं पर शराब की उपलब्धता का नकारात्मक असर देखा गया है। ऐसे में राज्य सरकार का यह निर्णय सामाजिक शांति और नैतिक मूल्यों की रक्षा करने वाला कदम माना जा रहा है।
लाइसेंसधारियों को मिलेगा पैसा वापस
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी दुकान के लिए अनुज्ञप्तिधारी (लाइसेंसधारी) ने सरकार को अग्रिम राजस्व के रूप में कोई राशि जमा की है, और उस दुकान को अब बंद किया जा रहा है, तो वह धनराशि उन्हें वापस की जाएगी। इससे किसी प्रकार का आर्थिक नुकसान लाइसेंसधारियों को नहीं होगा और विवाद से भी बचा जा सकेगा।
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पहचान की जा रही विवादित दुकानें
अभी तक जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार देहरादून, अल्मोड़ा, नैनीताल और टिहरी जैसे जिलों में लगभग 4 से 5 ऐसी शराब की दुकानें चिन्हित की गई हैं, जहां स्थानीय लोगों का विरोध हर साल होता रहा है। ये विरोध केवल मौखिक नहीं होते, बल्कि धरना, प्रदर्शन और ज्ञापन के माध्यम से लगातार स्थानीय प्रशासन पर दबाव बनाया जाता रहा है।
महिलाओं की भूमिका अहम
इस विरोध में सबसे अधिक सक्रिय भूमिका महिलाओं की रही है, जो अपने परिवार और समाज के भविष्य को लेकर सजग हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की वजह से होने वाली घरेलू हिंसा, अपराध और सामाजिक विघटन की घटनाएं भी सरकार के संज्ञान में रही हैं। इन सब पहलुओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने यह फैसला लिया है कि जनविरोध वाले स्थानों पर अब शराब की दुकानें नहीं खोली जाएंगी।
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उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय सामाजिक न्याय, जनसंवेदना और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। राज्य में शराब नीति को लेकर लंबे समय से मांग उठती रही थी कि जहां जनता नहीं चाहती, वहां शराब की दुकानें न खोली जाएं। अब सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम जनमत का सम्मान करते हुए प्रशासन को अधिक उत्तरदायी बनाने की दिशा में सराहनीय प्रयास है। इससे न केवल सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलेगा बल्कि यह निर्णय राज्य के अन्य नीतिगत फैसलों के लिए भी एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
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