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India-Pakistan Conflict: भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर बोले ओवैसी- बेहतर होता कि पीएम मोदी खुद ही युद्ध विराम का ऐलान कर देते

'ऑपरेशन सिंदूर' पर ओवैसी ने कहा, "यह सरकार के लिए, प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। उन्हें इस अवसर का सही इस्तेमाल करना चाहिए। आपको पाकिस्तान का सामना करना चाहिए, लेकिन आपको कश्मीरी लोगों को भी स्वीकार करना चाहिए।"

India-Pakistan Conflict: पहलगाम आतंकी हमले के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी लगातार चर्चा में हैं। इस आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते खराब हो गए और फिर दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष भी शुरू हो गया। सैन्य संघर्ष के तीन दिन बाद अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा की। इस पर ओवैसी ने कहा कि बेहतर होता कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद संघर्ष विराम की घोषणा करते।

हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से खास बातचीत में “पहलगाम हमले पर हो रही राजनीति” पर निराशा जताई। उन्होंने कहा, “आप पहलगाम (आतंकी हमले) पर राजनीति कैसे कर सकते हैं। मुझे उस महिला के बारे में सोचकर वाकई बुरा लग रहा है जो अपने पति के शव के पास बैठी थी।”

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उन्होंने कहा, “आप इसे कैसे स्वीकार कर सकते हैं? राजनीतिक रूप से हम (एआईएमआईएम) भाजपा की विचारधारा से लड़ते रह सकते हैं, लेकिन जब बात देश की आती है और देश के नागरिक मारे जाते हैं, तो इसमें मेरे राजनीतिक वैचारिक मतभेद का कोई सवाल ही नहीं उठता?”

कश्मीरियों की भी बात माननी चाहिए: ओवैसी

अमेरिका द्वारा घोषित संघर्ष विराम पर निराशा जताते हुए ओवैसी ने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री को खुद संघर्ष विराम की घोषणा करनी चाहिए थी। बेहतर होता कि वह खुद इसकी घोषणा करते।”

पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर ओवैसी ने कहा, ”कश्मीरी मुसलमानों ने इसकी (पहलगाम आतंकी हमले) खुलकर निंदा की है। वास्तव में यह सरकार के लिए, प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। उन्हें इस अवसर का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए। आपको पाकिस्तान का सामना करना चाहिए, साथ ही आपको कश्मीरी लोगों को भी स्वीकार करना चाहिए। उन्हें (कश्मीरियों को) उनके अधिकार मिलने चाहिए, देश के अन्य हिस्सों में कश्मीरी छात्रों पर हमले नहीं होने चाहिए।”

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अगर आदिवासी बाहर हैं तो यूसीसी समान कैसे हो गई: ओवैसी

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने समान नागरिक संहिता को लेकर भाजपा पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है, “इसे समान कैसे कहा जा सकता है? क्यों रखा जा रहा है आदिवासियों को बाहर? आप हिंदू विवाह अधिनियम और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम को बाहर रख रहे हैं। हमारे देश में पहले से ही विशेष विवाह अधिनियम और भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम है।”

उन्होंने कहा, “अगर कोई अपने धर्म के अनुसार शादी नहीं करना चाहता है, तो वह स्पेशल मैरिज एक्ट के जरिए शादी कर सकता है। तो फिर यह समानता कैसे हो गई? जब आप आदिवासियों और दूसरे समूहों को छूट दे रहे हैं, तो आप इसे समान नागरिक संहिता कैसे कह सकते हैं?”

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आरएसएस बहुलवाद को खत्म करना चाहता है: ओवैसी

ओवैसी ने आरएसएस पर हमला करते हुए कहा, ”आरएसएस देश की बहुलतावाद को खत्म कर भारत को धार्मिक राज्य बनाना चाहता है।” उन्होंने कहा, ”जो लोग अदालतों में केस कर रहे हैं, वे आरएसएस और संगठन के प्रमुख मोहन भागवत के समर्थक हैं। अगर आपको लगता है कि वे (सरकार का जिक्र करते हुए) गलत हैं, तो उन्हें तुरंत रोका जाना चाहिए। लेकिन यह सब आपकी अनुमति से ही हो रहा है।”

उन्होंने कहा, “यह आरएसएस का ‘भ्रम का सिद्धांत’ है। मैं आरएसएस और उसकी विचारधारा को जानता हूं। ये लोग देश की विशेष बहुलतावाद को खत्म करके भारत को एक धार्मिक राज्य बनाना चाहते हैं।”

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