Ruskin Bond Birthday: 91वें जन्मदिन पर रस्किन बॉन्ड ने सादगी से मनाया जश्न, पहलगाम हमले को लेकर नहीं की भव्यता
प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड ने पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि स्वरूप अपना 91वां जन्मदिन सादगी से मसूरी स्थित घर पर मनाया। उन्होंने बताया कि वे जून में कैम्ब्रिज बुक डिपो में अपने पाठकों से मुलाकात करेंगे। भारतीय अंग्रेजी साहित्य में उनका योगदान आज भी नई पीढ़ियों को प्रेरित करता है।
Ruskin Bond Birthday: भारतीय अंग्रेजी साहित्य के दिग्गज और लोकप्रिय लेखक पद्मश्री व पद्मभूषण से सम्मानित रस्किन बॉन्ड ने इस वर्ष अपना 91वां जन्मदिन बेहद सादगी और शांतिपूर्ण तरीके से मनाया। उन्होंने मसूरी के लंढौर छावनी परिषद क्षेत्र स्थित अपने घर पर परिजनों के साथ मिलकर एक छोटा-सा कार्यक्रम आयोजित कर जन्मदिन का केक काटा। इस अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों और कुछ नज़दीकी प्रशंसकों ने उनकी लंबी उम्र की कामना की।
हालांकि, हर साल 19 मई को मसूरी में रस्किन बॉन्ड का जन्मदिन एक साहित्यिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप अपना जन्मदिन भव्य रूप से न मनाने का फैसला किया। उनका यह मानवीय दृष्टिकोण एक बार फिर यह दर्शाता है कि वे केवल महान लेखक ही नहीं, बल्कि संवेदनशील और सजग नागरिक भी हैं।
जून में मिलेंगे पाठकों से
रस्किन बॉन्ड ने जानकारी दी कि इस वर्ष वे अपने जन्मदिन पर कैम्ब्रिज बुक डिपो, मसूरी में किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग नहीं ले रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह जून में अपने पाठकों से व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिए बुक डिपो आएंगे, जहां वे पुस्तकों पर हस्ताक्षर करेंगे और प्रशंसकों के साथ बातचीत करेंगे। यह खबर उनके प्रशंसकों के लिए एक बड़ी राहत है, जो हर साल इस विशेष अवसर का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
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मसूरी में साहित्यिक पहचान के प्रतीक
रस्किन बॉन्ड का जन्म 19 मई 1934 को ब्रिटिश भारत के तत्कालीन पंजाब प्रांत के कसौली शहर में हुआ था। वे वर्ष 1963 से मसूरी में निवास कर रहे हैं और यहीं से उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन की अनमोल कृतियों की रचना की है। मसूरी को आज जो साहित्यिक पहचान मिली है, उसमें रस्किन बॉन्ड का योगदान अतुलनीय है। उनकी उपस्थिति के कारण मसूरी हर वर्ष साहित्य प्रेमियों का केंद्र बन जाती है।
उनका जन्मदिन मसूरी में सिर्फ एक व्यक्तिगत उत्सव नहीं होता, बल्कि वह दिन लेखन और साहित्य के प्रति सम्मान का प्रतीक बन गया है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सब उनके साथ फोटो खिंचवाने, हस्ताक्षरित किताबें लेने और उन्हें बधाई देने के लिए लाइन में खड़े होते हैं।
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एक लेखक, जो जीवन से जुड़ी कहानियां कहते हैं
रस्किन बॉन्ड का जीवन प्रकृति, सरलता और मानवीय भावनाओं के इर्द-गिर्द घूमता है। उन्होंने अपनी पहली किताब ‘द रूम ऑन द रूफ’ मात्र 17 वर्ष की आयु में लिखी थी। यह उपन्यास उनकी किशोरावस्था की व्यक्तिगत अनुभूतियों और संघर्षों पर आधारित था। इस उपन्यास के लिए उन्हें वर्ष 1957 में प्रतिष्ठित जॉन लेवेलिन राइस पुरस्कार से नवाज़ा गया था।
इसके बाद से उन्होंने बच्चों, युवाओं और वयस्कों के लिए कई प्रेरणादायक और संवेदनशील रचनाएं लिखीं, जो आज भी पाठकों के हृदय में जीवंत हैं। उनकी लेखनी में पर्वतीय जीवन, प्रकृति की सुंदरता, मानव संबंधों की गहराई और सामान्य जीवन के असाधारण पहलू झलकते हैं।
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एक प्रेरणास्रोत लेखक
91 वर्ष की आयु में भी रस्किन बॉन्ड की ऊर्जा, लेखन के प्रति समर्पण और पाठकों के साथ संबंध उन्हें युवा लेखकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनाता है। उनका सादगी से भरा जीवन और गहराई से भरी रचनाएं उन्हें साहित्य की दुनिया में अमर बनाती हैं।
उनका जन्मदिन न केवल उनके जीवन का उत्सव है, बल्कि भारतीय अंग्रेजी साहित्य के गौरव और विरासत का भी प्रतीक है। मसूरी और उनके पाठक गर्व से यह कहते हैं कि रस्किन बॉन्ड केवल लेखक नहीं, एक युग हैं।
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