Base Case Damoh: दमोह में आधार घोटाले का पर्दाफाश – 22 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली, ऑपरेटर का रिकॉर्ड गायब!
दमोह जिले में आधार आईडी से जुड़े एक बड़े घोटाले ने प्रशासन और आम जनता को हैरान कर दिया है। 22 दिन बीत जाने के बावजूद, पुलिस अब तक आरोपी ऑपरेटर की पहचान तक नहीं कर पाई है।
Base Case Damoh: दमोह जिले में आधार आईडी से जुड़े एक बड़े घोटाले ने प्रशासन और आम जनता को हैरान कर दिया है। 22 दिन बीत जाने के बावजूद, पुलिस अब तक आरोपी ऑपरेटर की पहचान तक नहीं कर पाई है। इसके अलावा, एक संदिग्ध ऑपरेटर का पूरा रिकॉर्ड ही सिस्टम से गायब हो चुका है, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।
कैसे सामने आया मामला?
दमोह जिले के एक सरकारी दफ्तर में कई लोगों ने शिकायत की थी कि उनके आधार कार्ड का गलत तरीके से उपयोग हो रहा है। जब जांच शुरू हुई, तो पता चला कि किसी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सैकड़ों लोगों के नाम से आधार कार्ड बनाए हैं। इन कार्डों का इस्तेमाल न केवल सरकारी योजनाओं में फर्जी लाभ लेने के लिए हुआ, बल्कि इनका उपयोग आपराधिक गतिविधियों में भी किया जा सकता था।
पुलिस की जांच में ढिलाई
22 दिन पहले मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने कुछ संदिग्ध ऑपरेटरों को चिन्हित किया, लेकिन उनकी पहचान और गिरफ्तारी में कोई प्रगति नहीं हुई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऑपरेटर ने फर्जी पहचान और दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अपना काम चलाया था। साथ ही, उसका रिकॉर्ड आधार सिस्टम से भी गायब कर दिया गया है, जिससे जांच और मुश्किल हो गई है।
क्या है खतरा?
अगर पुलिस समय रहते दोषियों को पकड़ नहीं पाती, तो यह मामला केवल दमोह तक सीमित नहीं रहेगा। ऐसे फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल बैंक खातों, सरकारी योजनाओं और यहां तक कि आपराधिक गतिविधियों में हो सकता है। इससे आम जनता की निजी जानकारी खतरे में पड़ सकती है।
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प्रशासन की चुप्पी और जनता में नाराजगी
स्थानीय लोगों में इस मामले को लेकर नाराजगी बढ़ रही है। लोगों का कहना है कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही से अपराधियों को खुली छूट मिल रही है। कई लोग इस बात से परेशान हैं कि जिन दस्तावेजों पर उन्होंने सालों की मेहनत और पहचान बनाई, वो अब किसी फर्जी ऑपरेटर की गलती से खतरे में पड़ सकते हैं।
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आगे की राह
विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस को इस मामले की गंभीरता को समझते हुए, डिजिटल फॉरेंसिक की मदद लेनी चाहिए। साथ ही, आधार डेटा मैनेजमेंट और रिकॉर्ड की सुरक्षा को लेकर सरकार को नए सिरे से कदम उठाने की जरूरत है। यदि दोषियों को जल्द पकड़ा नहीं गया, तो यह मामला पूरे राज्य में एक बड़े घोटाले का रूप ले सकता है।
दमोह का यह मामला देशभर में आधार से जुड़ी सुरक्षा और उसकी प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है। अब देखना होगा कि पुलिस कब तक दोषियों तक पहुंच पाती है और आम जनता को राहत मिलती है।
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