Manjinder Singh Sirsa: दिल्ली सरकार की ‘हथकरघा संवर्धन’ योजना, पारंपरिक शिल्प को मिलेगा नया जीवन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में, उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के निर्देशन में दिल्ली सरकार ने ‘हथकरघा संवर्धन’ योजना के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण नीति प्रस्ताव पेश किया है। इसका उद्देश्य पारंपरिक हथकरघा क्षेत्र में युवाओं को सशक्त बनाना और उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहित करना है।
Manjinder Singh Sirsa: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में, उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के निर्देशन में दिल्ली सरकार ने ‘हथकरघा संवर्धन’ योजना के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण नीति प्रस्ताव पेश किया है। इसका उद्देश्य पारंपरिक हथकरघा क्षेत्र में युवाओं को सशक्त बनाना और उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहित करना है।
IIHT जोधपुर में प्रशिक्षण ले रहे छात्रों को मिलेगा लाभ
इस योजना के तहत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ हैंडलूम टेक्नोलॉजी (IIHT), जोधपुर में हथकरघा प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्रों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता की दरों में उपयुक्त वृद्धि की गई है। यह निर्णय छात्रों की आर्थिक आवश्यकताओं और बदलते समय की मांगों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
स्टाइपेंड और शैक्षिक भत्तों में भारी बढ़ोतरी
प्रस्ताव में दो प्रमुख सहायता घटकों में संशोधन किया गया है:
एडिशनल स्टेट स्टाइपेंड:
पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों को ₹400 प्रतिमाह की दर से स्टाइपेंड दिया जाता था, जिसे बढ़ाकर अब ₹2000 प्रतिमाह करने का प्रस्ताव है।
पुस्तक एवं शैक्षणिक भ्रमण भत्ता:
दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों को प्रति वर्ष ₹1000 दिए जाते थे, जिसे बढ़ाकर ₹5000 प्रति वर्ष प्रति छात्र करने की सिफारिश की गई है।
यह संशोधित दरें शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू होंगी। उल्लेखनीय है कि इन दरों में पिछली बार 2009-10 में बदलाव किया गया था, यानी लगभग 15 वर्षों के बाद यह बड़ा संशोधन प्रस्तावित किया गया है।
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महंगाई और शिक्षा लागत के अनुरूप जरूरी बदलाव
समय के साथ शिक्षा से जुड़ी लागतें जैसे अध्ययन सामग्री, तकनीकी पुस्तकें, और शैक्षिक यात्राएं काफी बढ़ गई हैं। वर्तमान स्टाइपेंड अब छात्रों की वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहा था। इसी कारण यह संशोधन आवश्यक हो गया, ताकि विद्यार्थियों को सम्मानपूर्वक और सुचारू रूप से प्रशिक्षण पूरा करने में कोई बाधा न हो।
उद्योग मंत्री श्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा,
“यह केवल वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि हमारे भविष्य के कारीगरों की नींव को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
उन्होंने आगे कहा, “यहां तक कि एक मामूली सहयोग भी, जब दूरदृष्टि और सोच-समझकर दिया जाए, तो यह पारंपरिक शिल्प के पुनरुद्धार में बड़ा परिवर्तन ला सकता है।”
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₹10 लाख का बजटीय प्रावधान
इस योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु कुल ₹10.00 लाख का बजटीय प्रावधान तय किया गया है, जिससे संशोधित दरों के अनुसार व्यय वहन किया जा सके।
हथकरघा उद्योग को पुनर्जीवित करने की दिशा में ठोस प्रयास
यह पहल केवल एक आर्थिक सहयोग नहीं है, बल्कि एक व्यापक, समावेशी और भविष्योन्मुखी नीति दृष्टिकोण को दर्शाती है। दिल्ली सरकार का यह कदम न केवल युवाओं को तकनीकी शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करेगा, बल्कि भारत की पारंपरिक हथकरघा विरासत को आधुनिक संदर्भ में पुनः जीवंत करने का भी कार्य करेगा।
यह योजना उन युवाओं के लिए नई संभावनाएं खोलती है, जो पारंपरिक कारीगरी को आधुनिक तकनीक और नवाचार के साथ जोड़कर भविष्य की दिशा तय कर सकते हैं।
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