Uttar Pradesh News: महाकुंभ भगदड़ पीड़ितों के मुआवजे पर हाईकोर्ट की योगी सरकार को कड़ी फटकार!
संगम नगरी प्रयागराज में इस साल के महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर हुई भीषण भगदड़ के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार पर अपनी सख्त टिप्पणी की है।
Uttar Pradesh News: संगम नगरी प्रयागराज में इस साल के महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर हुई भीषण भगदड़ के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार पर अपनी सख्त टिप्पणी की है। लाखों श्रद्धालुओं के बीच मची उस अफरा-तफरी में कई जिंदगियां असमय काल का ग्रास बन गईं, और अब भी उनके परिजनों को घोषित मुआवजा राशि का इंतज़ार है। इसी देरी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार के रवैये को ‘अस्थिर’ और ‘नागरिकों की पीड़ा के प्रति उदासीन’ करार दिया है।
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क्या है पूरा मामला?
जनवरी 2025 में महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान, मौनी अमावस्या के दिन, जब करोड़ों श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़े थे, तभी अचानक भगदड़ मच गई। इस हृदय विदारक घटना में आधिकारिक तौर पर 30 लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी, जबकि 90 से अधिक लोग घायल हो गए थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने तुरंत मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन अफसोस! आज जून 2025 आ चुका है और कई परिवार अभी भी अपनी इस घोषित सहायता राशि का इंतजार कर रहे हैं।
‘संवेदनहीनता’ पर सवाल!
उदय प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति संदीप जैन की खंडपीठ ने सरकार के इस ढीले रवैये पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार की ओर से अपनाया गया यह रुख नागरिकों की परेशानी के प्रति संवेदनहीनता दर्शाता है। यह सिर्फ मुआवजे में देरी का मामला नहीं, बल्कि उन परिवारों की भावनाओं और तकलीफों की अनदेखी का मामला है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है।
न्यायालय ने सरकार से इस मामले में अब तक की सभी रिपोर्ट और मुआवजे के वितरण से संबंधित विस्तृत जानकारी तलब की है। यह देखना होगा कि इस न्यायिक फटकार के बाद उत्तर प्रदेश सरकार कितनी तेजी से पीड़ितों को न्याय दिला पाती है। महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में हुई त्रासदियां, और उसके बाद पीड़ितों को मिलने वाली सहायता में देरी, प्रशासन के लिए एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती है। अब सबकी निगाहें 18 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जब इस मामले में और भी महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी हो सकते हैं।
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