Char Dham Yatra: चारधाम यात्रा में गिरावट, कैंची धाम में तीर्थयात्रियों की धड़ाधड़ संख्या
चारधाम यात्रा में लगातार कमी और कैंची धाम में तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं। चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने सरकार की व्यवस्थाओं पर असंतोष जताते हुए तुलना को लेकर चिंता जताई है। सरल पहुंच और प्रभावशाली प्रचार के चलते कैंची धाम श्रद्धालुओं का नया केंद्र बनता जा रहा है।
Char Dham Yatra: उत्तराखंड, जिसकी पहचान “देवभूमि” के रूप में है, सालभर तीर्थयात्रियों का केंद्र बनी रहती है। यहां चारधाम यात्रा के साथ-साथ नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम भी श्रद्धालुओं की पसंद बना हुआ है। अब चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने इन दोनों यात्रा स्थलों के आंकड़ों में अंतर को लेकर सवाल उठाए हैं।
चारधाम यात्रा में गिरावट – कैंची धाम में भारी उछाल
चारधाम यात्रा (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ) में यात्रियों की संख्या पिछले वर्ष (2024) 8.21 लाख कम हो गई, जो लगभग 16% की गिरावट दर्शाती है।
वहीं, कैंची धाम में यात्रा करने वालों की संख्या पिछले साल 8 लाख से बढ़कर इस वर्ष करीब 24 लाख तक पहुंच गई, यानी 300% की चौंकाने वाली बढ़ोतरी।
तीर्थ पुरोहित महासचिव डॉ. बृजेश सती का मानना है कि चारधाम यात्रा में कठिन रास्ते, सीमित समय और जटिल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जैसी व्यवस्थाएं भक्तों को हतोत्साहित कर रही हैं। इसके उलट, कैंची धाम की सरल व्यवस्था और निरंतर संचालन ने श्रद्धालुओं का रुझान बढ़ाया है।
प्रतिदिन और मासिक आंकड़ों का विश्लेषण
चारधाम यात्रा में प्रतिदिन औसतन 6,416 श्रद्धालु पहुंचते हैं, जबकि कैंची धाम में यह संख्या बढ़कर 6,666 हो चुकी है।
मासिक रूप से चारधाम यात्रा का औसत संख्या 7.7 लाख हैं, जबकि कैंची धाम एक माह में लगभग 2 लाख यात्रियों को आकर्षित करता है।
सौ में से आंकड़ों की बात करें तो केदारनाथ में औसतन सबसे अधिक (9,177/दिन), फिर बदरीनाथ (7,974), गंगोत्री (4,545), यमुनोत्री (3,970) दर्शनों में श्रद्धालु आते हैं।
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आंकड़ों में उलझन, एक ही यात्री की multiple गिनती?
डॉ. सती का आरोप है कि तीन-चार धामों की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को अलग-अलग गिना जाता है, जिससे सरकारी आंकड़े inflated हो रहे हैं। वह दावा करते हैं कि यह गिनती वास्तविक श्रद्धालुपन की सही तस्वीर नहीं पेश करती।
विरोधी प्रतिक्रिया और सरकार की सफाई
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने इस तुलना को “अनुचित और अमान्य” बताया। उनकी दलील है कि चारधाम यात्रा की कठिन जमीनी स्थितियां अलग हैं। यह यात्रा विशेष मौसम और सीमित अवधि में होती है, जबकि कैंची धाम स्थायी रूप से संचालित होता है।
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उन्होंने ओर यह भी स्पष्ट किया कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए जरूरी है। प्राकृतिक आपदाओं या आपात स्थितियों में सरकार को यात्रियों का डेटा होना अनिवार्य है।
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने महापंचायत के तर्कों का समर्थन करते हुए कहा कि चारधाम यात्रा में अव्यवस्था स्पष्ट रूप से दिख रही है। उन्होंने बदरीनाथ और केदारनाथ में यात्री असुविधा का हवाला दिया। वहीं, कैंची धाम में ट्रैफिक और व्यवाहार कर उन्हें बेहतर ढंग से संभाला जा रहा है।
कैंची धाम क्यों बढ़ी लोकप्रिय?
दूरी की दृष्टि से कैंची धाम दिल्ली से लगभग 340 किलोमीटर दूर है और इसमें सिर्फ 40 किमी पहाड़ी रास्ता तय करना पड़ता है।
इनकी तुलना में, चारधाम स्थलों की दूरी और कठिन रास्ते अधिक हैं।
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नीम करोली बाबा की आध्यात्मिक छवि और उनसे जुड़ी विदेशी हस्तियों — जैसे स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग और जूलिया रॉबर्ट्स — की कथाएं युवा वर्ग को आकर्षित करती हैं।
चाहे चारधाम यात्रा हो या कैंची धाम दर्शन, दोनों की धार्मिक महत्ता अपरंपार है। लेकिन आंकड़ों और सुविधाओं की तुलना से यह स्पष्ट होता है कि सरकार को चारधाम की व्यवस्था को और सुचारू एवं सरल बनाने की आवश्यकता है। साथ ही, तीर्थ यात्री पहले से बेहतर और सुरक्षित अनुभव pान करने के लिए राहत, सुरक्षा और सुविधा पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
समाधान तभी संभव हैं जब सरकारी तंत्र, धार्मिक संगठनों और स्थानीय समुदाय मिलकर यात्री अनुभव को बेहतर बनाने का काम करें।
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