GST Anniversary 2025: जीएसटी के 8 साल, कर सुधार की दिशा में ऐतिहासिक बदलाव
जीएसटी के आठ साल पूरे होने पर डेलॉइट की रिपोर्ट ने इसे सफल कर सुधार बताया है। व्यापारियों और MSMEs ने इसे लाभकारी बताया, जबकि कुछ चुनौतियों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता जताई गई है। डिजिटलीकरण और पारदर्शिता ने कर प्रणाली को मजबूत बनाया है।
GST Anniversary 2025: भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के लागू होने के आठ वर्ष 1 जुलाई 2025 को पूरे हो जाएंगे। वर्ष 2017 में लागू किया गया यह कर प्रणाली देश में आर्थिक एकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया था। इसने देश की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की जटिलता को हटाकर एक एकीकृत, पारदर्शी और डिजिटल कर ढांचे की नींव रखी। जीएसटी ने न केवल करदाताओं के लिए अनुपालन प्रक्रिया को आसान बनाया बल्कि व्यापार में पारदर्शिता और दक्षता को भी काफी बढ़ाया।
अर्थव्यवस्था पर जीएसटी का असर
जीएसटी के चलते राज्यों के बीच माल की आवाजाही अबाध हुई है और व्यवसायों की लॉजिस्टिक्स लागत में भी कमी आई है। साथ ही, कर ढांचे में एकरूपता आने से देश में व्यापार करना अधिक सरल हुआ है। जीएसटी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नए भारत के लिए पथ-प्रदर्शक कानून’ की संज्ञा दी थी और आठ वर्षों बाद इसके परिणाम भी सकारात्मक नजर आ रहे हैं।
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वित्तीय वर्ष 2024-25 में सकल जीएसटी संग्रह 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.4% अधिक है। यह वृद्धि व्यापार प्रणाली के डिजिटलीकरण और अनुपालन स्तर के सुधार की पुष्टि करती है।
डेलॉइट की रिपोर्ट में सकारात्मक संकेत
हाल ही में जारी ‘GST@8’ रिपोर्ट में डेलॉइट ने बताया कि 85% उत्तरदाताओं ने जीएसटी के तहत अपने अनुभव को सकारात्मक बताया। 10% ने तटस्थ प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने विशेष रूप से इनपुट टैक्स क्रेडिट और खर्च प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों की ओर इशारा किया। केवल 5% उत्तरदाताओं ने जीएसटी से जुड़े तकनीकी व प्रशासनिक मुद्दों को लेकर नकारात्मक अनुभव साझा किया।
एमएसएमई को भी मिला लाभ
रिपोर्ट के अनुसार, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए जीएसटी व्यवस्था पहले की तुलना में अधिक सुविधाजनक बनी है। 2024 की तुलना में संतुष्टि स्तर 78% से बढ़कर 82% हो गया है। मासिक भुगतान के साथ त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने की सुविधा और अनिवार्य पंजीकरण की सीमा में छूट जैसे उपायों से एमएसएमई को बड़ी राहत मिली है।
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डिजिटलीकरण की भूमिका
डिजिटल टूल्स की मदद से करदाताओं को ई-इनवॉइसिंग, रिटर्न की ऑटो-पॉपुलेशन और विभागीय नोटिस का प्रभावी तरीके से जवाब देने की क्षमता मिली है। रिपोर्ट में 99% व्यवसायों ने माना कि उनके आईटी सिस्टम जीएसटी की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हैं।
आगे के लिए सुझाव और चुनौतियाँ
डेलॉइट की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में जीएसटी 2.0 के तहत विवाद निपटान प्रणाली को बेहतर बनाना, दरों में एकरूपता लाना और केंद्र व राज्यों के बीच ऑडिट प्रक्रियाओं को मानकीकृत करना आवश्यक होगा।
हालांकि, रिपोर्ट में कुछ मौजूदा चुनौतियों को भी रेखांकित किया गया है, जैसे—टाइम पर रिफंड की समस्या, डिजिटल व्यापार मॉडल के लिए स्पष्टता की कमी और अधिकारियों द्वारा विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि पंजीकरण और मूल्यांकन से जुड़ी अपील प्रक्रियाएं समयबद्ध होनी चाहिए ताकि व्यापार करने में और आसानी हो।
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जीएसटी ढांचा और दरें
वर्तमान जीएसटी प्रणाली में चार मुख्य दर स्लैब हैं—5%, 12%, 18% और 28%। इसके अलावा कुछ विशेष वस्तुओं जैसे—सोना, चांदी, हीरा आदि पर अलग से विशेष दरें निर्धारित हैं। तंबाकू उत्पादों और वाहनों जैसी वस्तुओं पर जीएसटी मुआवजा उपकर लगाया जाता है ताकि राज्यों को हुए राजस्व नुकसान की भरपाई हो सके।
वर्ष 2025 में जीएसटी को लागू हुए आठ वर्ष पूरे हो रहे हैं और यह कहना गलत नहीं होगा कि इस प्रणाली ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक संगठित और पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आगे की चुनौतियों के बावजूद यह कर प्रणाली देश के कारोबार और शासन प्रणाली को मजबूती प्रदान करती रहेगी।
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