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Uttar Pradesh News: 2025 में तैयारी, 2047 की योजना! इसरो और यूपी मिलकर रचेंगे तकनीकी विकास की नई कहानी

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस राज्य स्तरीय कार्यशाला में इसरो के चेयरमैन और अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के सचिव, डॉ. वी. नारायणन ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। यह आयोजन इसरो और उत्तर प्रदेश के रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।

Uttar Pradesh News: Preparation in 2025, plan for 2047! ISRO and UP will together create a new story of technological development

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 7 जुलाई को एक ऐतिहासिक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसने ‘विकसित भारत 2047’ के सपने को साकार करने में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका पर गहन चिंतन किया।

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस राज्य स्तरीय कार्यशाला में इसरो के चेयरमैन और अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के सचिव, डॉ. वी. नारायणन ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। यह आयोजन इसरो और उत्तर प्रदेश के रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।

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विकास का नया इंजन!

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने अपने संबोधन में प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह देश और प्रदेश के विकास की धुरी है। उन्होंने इसरो की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था दुनिया में सबसे किफायती और विश्वसनीय उपग्रह प्रक्षेपण के लिए जानी जाती है, जो भारतीय वैज्ञानिकों की अद्भुत क्षमता का प्रमाण है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि आज हर क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो रहा है और इसके बिना विकास के लक्ष्यों को हासिल करना असंभव है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर की स्थापना 1982 में देश के पहले ऐसे केंद्र के रूप में हुई थी, जिसने प्रदेश के विकास में अहम योगदान दिया है। अब विभिन्न सरकारी विभाग भी इस तकनीक का भरपूर उपयोग कर रहे हैं।

मुख्य सचिव ने उपग्रह आधारित संचार तकनीक की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह उन क्षेत्रों के लिए वरदान है जहां ऑप्टिकल फाइबर की पहुंच नहीं है, जिससे विश्वसनीय कनेक्टिविटी सुनिश्चित होती है। उन्होंने कृषि, सिंचाई, लोक निर्माण, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, वन, खनन और आपदा प्रबंधन जैसे विभागों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग की संभावनाओं पर भी जोर दिया। उनके अनुसार, मैनुअल सर्वेक्षणों की तुलना में डिजिटल फसल सर्वेक्षण से प्राप्त डेटा अधिक सटीक और विश्वसनीय होता है। प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी पीएम गति शक्ति योजना भी उपग्रह आधारित है, और चेक डैम व बोरिंग में रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी बेहद सहायक सिद्ध हुई है।

उन्होंने डेटा सिस्टम की सटीकता और त्वरित पहुंच की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि सभी विभाग योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए इसका सदुपयोग कर सकें। मुख्य सचिव ने इसरो के चेयरमैन और वैज्ञानिकों से विशेष रूप से बारिश और बिजली गिरने से संबंधित सटीक डेटा उपलब्ध कराने वाली तकनीक विकसित करने का अनुरोध किया, जिससे किसानों और आम जनता को समय रहते सचेत किया जा सके।

कार्यशाला के दौरान, मुख्य सचिव ने उत्तर प्रदेश सरकार के रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई “उत्तर प्रदेश में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों और अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे की भविष्य की आवश्यकताओं” पर आधारित एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट का विमोचन भी किया।

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इसरो की गौरव गाथा और भविष्य के लक्ष्य

मुख्य अतिथि डॉ. वी. नारायणन ने बताया कि क्षेत्रीय राज्य-स्तरीय बैठकों की अवधारणा 2015 में नई दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित राष्ट्रीय बैठक से जन्मी थी। उस बैठक के दौरान, केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के सचिवों ने उन योजनाओं की पहचान की थी जहाँ जीपीएस जैसी उपग्रह रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकियों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है।

उन्होंने इसरो की विकास यात्रा और उपलब्धियों को साझा करते हुए बताया कि 1963 में भारत के पहले रॉकेट प्रक्षेपण के बाद से, अब तक 100 से अधिक रॉकेट लॉन्च किए जा चुके हैं। एक समय था जब भारत के पास अपने उपग्रह नहीं थे, लेकिन अब भारत के पास 131 उपग्रह हैं। डॉ. नारायणन ने यह भी बताया कि इसरो ऐसे रॉकेट पर काम कर रहा है जो पृथ्वी की निचली कक्षा में 75,000 किलोग्राम तक के उपग्रहों को लॉन्च कर सकेगा। उन्होंने सबसे रोमांचक लक्ष्य साझा करते हुए कहा कि इसरो का लक्ष्य अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाना और अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजना है!

यूपी में तकनीक की रफ्तार

प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पंधारी यादव ने बताया कि रिमोट सेंसिंग के माध्यम से उत्तर प्रदेश को एक नई गति मिल रही है और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग प्रदेश में किया जा रहा है। कृषि, उद्यान, सिंचाई और वन विभाग सहित अन्य विभाग उपग्रह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं।

राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने देश में प्राकृतिक संसाधनों के अध्ययन और प्रबंधन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विस्तार से प्रकाश डाला।

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में प्रमुख सचिव नियोजन आलोक कुमार, प्रमुख सचिव रणवीर प्रसाद, पंधारी यादव, निदेशक ईडीपीओ, इसरो बेंगलुरु डॉ. जे.वी. थॉमस सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे। यह कार्यशाला निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश को ‘विकसित भारत 2047’ की ओर ले जाने में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग को और गति प्रदान करेगी।

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