Rajasthan School Accident: झालावाड़ स्कूल हादसे में किसकी लापरवाही से गई मासूम की जान? प्रशासन पर उठे सवाल
राजस्थान के झालावाड़ में एक निजी स्कूल में दर्दनाक हादसा हो गया, जहां स्कूल की छत गिरने से एक मासूम छात्र की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। घटना के बाद परिजनों में रोष है और प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं—क्या इस त्रासदी को रोका जा सकता था? स्कूल प्रशासन और जिला अधिकारियों की भूमिका पर अब जनता और नेताओं की निगाहें टिकी हैं।
Rajasthan School Accident: राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ। सरकारी स्कूल की जर्जर बिल्डिंग का हिस्सा अचानक गिर गया, जिसमें अब तक 7 बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई घायल हैं। इस हादसे ने राज्य के शिक्षा ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसे के बाद शिक्षा विभाग के निदेशक सीताराम जाट ने बयान दिया, जिसमें उन्होंने इसे महज “बारिश के मौसम का प्रभाव” बताया। लेकिन इस बयान के बाद विभागीय लापरवाही और जिम्मेदारियों को लेकर बहस छिड़ गई है।
हादसे की पूरी तस्वीर
झालावाड़ के पिपलोदी गांव स्थित एक सरकारी स्कूल में 7:40 बजे सुबह हादसा हुआ। हादसे के वक्त स्कूल में 60 से अधिक छात्र मौजूद थे। स्कूल की जर्जर इमारत का एक बड़ा हिस्सा अचानक ढह गया, जिससे दर्जनों छात्र मलबे में दब गए। शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुणाल के अनुसार, स्कूल में 70 छात्रों का नामांकन था। हादसे के दौरान 60 छात्र स्कूल में मौजूद थे। मलबे से सभी छात्रों को बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचाया गया, जिनमें से 11 को गंभीर हालत में जिला अस्पताल रेफर किया गया है। दो बच्चों की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।
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शिक्षा निदेशक का चौंकाने वाला बयान
मीडिया से बातचीत में निदेशक सीताराम जाट ने कहा, “बारिश का टाइम है, ऐसे हादसों की आशंका रहती है। हम पहले भी संस्थाओं को सावधान करते रहे हैं।” जब उनसे पूछा गया कि हादसे की ज़िम्मेदारी किसकी बनती है, तो उन्होंने जवाब दिया, “ऐसा कुछ नहीं है, ये मौसम की वजह से हुआ है।” उन्होंने यह भी कहा कि विभाग हर साल भवन सुरक्षा की रिपोर्ट मांगता है, “हर साल मरम्मत और भवन स्थिति की जानकारी ली जाती है, और उस पर कार्रवाई होती है। हम देख रहे हैं कि कहां पर चूक रह गई है। संस्था प्रधान को निर्देश भी देते रहते हैं।”
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क्या यह महज ‘कुदरत का कहर’ है?
निदेशक के बयान से साफ है कि विभाग इस हादसे को प्राकृतिक आपदा करार देने की कोशिश कर रहा है। लेकिन सवाल यह है कि यदि जर्जर इमारत की स्थिति पहले से ज्ञात थी, तो उसे बंद क्यों नहीं किया गया? क्यों बच्चों को ऐसी खतरनाक इमारत में पढ़ने के लिए भेजा गया?
स्कूल की स्थिति पहले से थी खराब?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह स्कूल लंबे समय से जर्जर हालत में था और ग्रामीणों ने कई बार इसकी मरम्मत की मांग की थी। लेकिन विभागीय स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हादसे के बाद प्रशासन की नींद टूटी और अब जांच की बात की जा रही है। राज्य सरकार और शिक्षा विभाग ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही कहा गया है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए भवनों की स्थिति की फिर से समीक्षा की जाएगी।
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