Swachch Haridwar Abhiyan: कांवड़ मेला संपन्न होते ही प्रशासन उतरा मैदान में, दो दिन में 80% सफाई पूर्ण
कांवड़ मेले के बाद हरिद्वार में जमा हुए हजारों टन कूड़े की सफाई के लिए प्रशासन ने 'स्वच्छ हरिद्वार अभियान' शुरू किया जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोभाल ने खुद झाड़ू उठाकर अभियान की अगुवाई की। दो दिन में 80% सफाई पूरी हो चुकी है और अब इसे नियमित अभियान बनाने की तैयारी है।
Swachch Haridwar Abhiyan: कांवड़ यात्रा के सकुशल समापन के बाद हरिद्वार में अब एक नई चुनौती ने दस्तक दी — हजारों मीट्रिक टन कूड़े का निस्तारण। लाखों कांवड़ियों के वापस लौटने के बाद शहर में फैली गंदगी को साफ करने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने कमर कस ली है। ‘स्वच्छ हरिद्वार अभियान’ अब सिर्फ एक प्रशासनिक पहल नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है।
जिलाधिकारी और एसएसपी ने खुद थामी झाड़ू
हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोभाल ने अभियान की शुरुआत खुद झाड़ू पकड़ कर की। सुबह होते ही घाटों, कांवड़ पटरी मार्गों और मुख्य सड़कों पर सफाई कार्य आरंभ किया गया। अधिकारियों के साथ नगर निगम, नगर पंचायत, सफाई कर्मचारी, स्वयंसेवी संस्थाएं और कई सामाजिक संगठनों ने भी भागीदारी निभाई। यह दृश्य न केवल प्रेरणादायक था, बल्कि प्रशासन की संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता का प्रमाण भी बना।
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4.5 करोड़ श्रद्धालु, 7000 मीट्रिक टन कूड़ा
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि इस बार हरिद्वार में लगभग 4.5 करोड़ कांवड़िये पहुंचे थे, जिससे 7000 मीट्रिक टन कूड़ा जमा हुआ। इस कचरे की शीघ्र सफाई के लिए नगर निगम, नगर निकाय और नगर पंचायत की संयुक्त टीमों को लगाया गया। सफाई का लक्ष्य दो दिन में पूरा करने का रखा गया था, जिसमें अब तक लगभग 80% सफलता मिल चुकी है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर शुरू हुई थी तैयारी
मेला शुरू होने से पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए विशेष निर्देश जारी किए थे। उसी कड़ी में प्रशासन ने सफाई व्यवस्था को लगातार प्राथमिकता पर रखा। कांवड़ मेला जैसे विशाल आयोजन में सफाई बनाए रखना किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन हरिद्वार प्रशासन ने इसे बखूबी निभाया।
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हर क्षेत्र में टीमें तैनात, मंथली सफाई पर विचार
अभियान के तहत हरिद्वार के सभी प्रमुख स्थानों पर अलग-अलग विभागों की टीमें तैनात की गईं। जिलाधिकारी ने कहा कि अभियान की समीक्षा कर फीडबैक लिया जाएगा और आवश्यकता अनुसार इसे मासिक या साप्ताहिक रूप से भी लागू करने का प्रयास किया जाएगा। इससे भविष्य में किसी भी बड़े आयोजन के बाद सफाई का कार्य सहजता से किया जा सकेगा।
पॉलिथीन बनी बड़ी चुनौती, वैकल्पिक उपायों की तलाश
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि इस बार बरसात के चलते कांवड़ियों ने पॉलिथीन से बने रेनकोट, चटाई आदि का प्रयोग अधिक किया। इस कारण कचरे में प्लास्टिक की मात्रा ज्यादा पाई गई। पॉलिथीन पर्यावरण के लिए हानिकारक है, और भविष्य में इसके स्थान पर पर्यावरण अनुकूल विकल्पों की खोज की जा रही है।
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सामाजिक सहभागिता से मिला बल
इस अभियान में सबसे प्रेरणादायक पहलू यह रहा कि प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं, बल्कि आम लोग, छात्र, युवा संगठन, घाट गोद लेने वाली संस्थाएं और सफाई कर्मचारी भी पूरे मनोयोग से जुड़ गए। यह सहभागिता दर्शाती है कि जब प्रशासन और समाज साथ आते हैं, तो किसी भी चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है।
हरिद्वार की नई पहचान की ओर कदम
स्वच्छता अभियान के इस प्रयास से हरिद्वार की छवि न केवल राज्य में, बल्कि देशभर में निखर रही है। प्रशासन की प्रतिबद्धता और जनता की भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि हरिद्वार केवल तीर्थ नगरी नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिकों और संवेदनशील शासन का प्रतीक बन रहा है।
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