बिहार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं का किया आह्वान!
Bihar News! देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि युवा ही देश के असली कर्णधार हैं और वे ही देश के भविष्य भी। देश जिस गति से आगे बढ़ रहा है उसी गति से इसे और आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि यह दुनिया क तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सके। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो युवाओं को आगे आना होगा। युवाओं को देश के विकास के लिए काम करने की जरूरत है और और मोदी सरकार को उन्हें मजबूत करना चाहिए ताकि उनके सपनो के भारत का निर्माण हो सके। ये सभी बातें राजनाथ सिंह बिहार के रोहतास स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह दीक्षांत समारोह है ,शिक्षांत समारोह नहीं। शिक्षा से हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है। वही दीक्षा से हमें संस्कार की प्राप्ति होती है। हमें शिक्षित भी होना है और संस्कारी भी। संस्कार ही देश के प्रति लोगों को आकर्षित करते हैं। जो संस्कारी होगा उसमे देश प्रेम होगा। देश के प्रति लगाव होगा और देश की रक्षा के लिए और निर्माण के लिए आगे बढ़ने की ललक भी होगी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि देश के युवा नए विचारों के साथ आगे आएं और देश के निर्माण में योगदान करें। 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने क कल्पना पीएम मोदी ने की है। उनके हाथ को मजबूत करने की जरूरत है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया की पांच बड़ी अर्धव्यवस्था में शामिल है अब इसे तीन बड़ी अर्थ व्यवस्था में शामिल करने का समय है और इसके लिए युवाओं को आगे बढ़ना होगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज देश की तस्वीर बदल गई है। आज देश के 12 करोड़ घरो में नालों का पानी पहुँच रहा है। हर घर को बिजली मिल रही है। उन्होंने विवेकानंद का एक संदर्भ भी दिया। उन्होंने कहा कि एक बार विवेकानंद अमेरिका के दौरे पर थे। एक आदमी ने उनसे पूछा की कि आप जेंटल मैन की तरह रहे और ये कपडे बदल क्यों नहीं देते। तब उन्होंने कहा कि आपके देश में कपडे से कोई जेनिटल मैन कहलाता है लेकिन मेरे देश में सज्जनता की पहचान कपड़ो से नहीं बल्कि उसके चरित्र से होता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आप चाहे कितना भी ज्ञानी हों लोगों ो साथ लेकर चलना चाहिए। अटल जी कहा करते थे कि छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता। आउट टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता। छोटे मन का व्यक्ति कभी सम्मान का पात्र नहीं होता।