नई दिल्ली: आज ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है. हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस दिन गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान श्री गणेश जी प्रथम पूजनीय देव है. किसी भी शुभ काम को प्रारंभ करने से पहले गणेश जी की वन्दना की जाती है.इस पावन दिन विधि-विधान से भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है.
पूजा का शुभ मुहुर्त 3 जून, शुक्रवार को चतुर्थी तिथि सुबह 10:56 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 4 जून को देर रात 01:43 मिनट पर समाप्त होगी.
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विनायक चतुर्थी पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें.
इसके बाद घर के मंदिर में सफाई कर दीप प्रज्वलित करें.
दीप प्रज्वलित करने के बाद भगवान गणेश का गंगा जल से जलाभिषेक करें.
इसके बाद भगवान गणेश को साफ वस्त्र पहनाएं.
भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगाएं और दूर्वा अर्पित करें.
भगवान गणेश को दूर्वा अतिप्रिय होता है. जो भी व्यक्ति भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करता है, भगवान गणेश उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.
भगवान गणेश की आरती करें और भोग लगाएं. आप गणेश जी को मोदक, लड्डूओं का भोग लगा सकते हैं.
इस पावन दिन भगवान गणेश का अधिक से अधिक ध्यान करें.
अगर आप व्रत रख सकते हैं तो इस दिन व्रत रखें.
विनायक चर्तुर्थी पर किये जाने वाले उपाय
- विनायक चतुर्थी व्रत के दिन पूजा के दौरान शुभ मुहूर्त में गणेश जी को सिंदूर का तिलक लगाएं. तिलक लगाते समय ये मन्त्र जरूर पढ़े. “सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥“
- गणेश पूजन के समय भगवान को गेंदे की माला पहनाएं. पूजा खत्म होने के बाद इसे उतार कर घर के मुख्य गेट पर लगायें.
- व्रत के दिन गणेश भगवान को हरा वस्त्र अर्पित करें. इन्हें 5-5 लौंग और इलायची चढ़ाएं. लव लाइफ की समस्याएं दूर होंगी और प्रेम बढ़ेगा.
- विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी को दूर्वा की 5 या 21 गांठें अर्पित करें.
- पूजन में मोदक का भोग लगाएं. सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी.
- इस मन्त्र -वक्रतुण्ड महाकाय, सुर्यकोटि समप्रभ:। निर्विघ्नम् कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।। का जाप करें हर कार्य सफल होगा. विघ्न बाधा दूर होगी.