नई दिल्ली: जुमे की नमाज के बाद 3 जून को कानपुर और 10 जून प्रयागराज समेत उत्तर प्रदेश के 9 जिलों में हिंसा करने वाले मुख्य आरोपियों के घर पर बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ जमीयत-उलेमा-ए- हिन्द के सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में लगाए गए आरोपों को यूपी सरकार ने गलत और बेबुनियाद ठहराया है। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से जमीयत-उलेमा-ए- हिन्द की इस याचिका को पूरी तरह से मनघडंत और तथ्यों से परे बताते हुए खारिज करने की मांग की है।
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि शासन व संबंधित जिलों के प्रशासन न जो भी कार्रवाई की गई है, वह नियमों के मुताबिक है। बुलडोजर कार्रवाई से अवैध व अनाधिकृत घरों का गिराये गये हैं और इसके लिए संबंधित प्राधिकरणों, नगर निगमों व अन्य विभागों ने नियमानुसार कार्रवाई की है। हलफनामा में जमीयत की याचिका को ख़ारिज करने की मांग भी की गई है।
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य़ूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में कोई भी प्रभावित पक्ष कोर्ट में नहीं आया है और न ही कहीं इस संबंध में कोई शिकायत की है। यूपी की उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफनामे में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले दंगाइयों पर कानून के मुताबिक सीआरसीपी और आईपीसी के तहत कार्रवाई की जा रही है और ऐसा करना सरकार को संवैधानिक अधिकार है। इस सब पहलुओं को देखते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की याचिका खारिज की खारिज किया जाना चाहिए।