US NSA Mike Waltz: डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को दिया बड़ा झटका, माइक वॉल्ट्ज को NSA बनाकर दुनिया को दिया बड़ा संकेत
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की जीत हासिल करते ही डोनाल्ड ट्रंप ने माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है।
US NSA Mike Waltz: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की जीत हासिल करते ही डोनाल्ड ट्रंप ने माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है। ये नियुक्ति इसलिए खास है क्योंकि माइक चीन के मुखर आलोचक रहे हैं। माइक NSA के तौर पर जैक सुलिवन की जगह लेंगे। फिलहाल जैक सुलिवन इस पद पर हैं।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने आगामी प्रशासन के लिए अहम नियुक्ति करते हुए फ्लोरिडा से सांसद माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) बनाया है। 50 वर्षीय वाल्ट्ज रिटायर कर्नल माइक वाल्ट्ज इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष हैं। वह अमेरिकी सेना की विशेष यूनिट ग्रीन बेरेट में काम कर चुके हैं। माइक को चीन-ईरान के लिए सख्त और भारत के प्रति नरम रुख रखने वाला माना जाता है। ऐसे में उनकी नियुक्ति से ट्रंप ने अपनी विदेश नीति पर एक संकेत भी देने की कोशिश की है।
माइक वाल्ट्ज 2019 से अमेरिकी संसद (US House of Representatives) के सदस्य हैं। वह ट्रंप के कट्टर समर्थक हैं और उन्होंने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव परिणाम को पलटने के उनके प्रयासों का भी समर्थन किया था। वहीं माइक मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन की विदेश नीति के सबसे मुखर आलोचकों में गिने जाते हैं। उन्होंने 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी पर बाइडन को घेरा था। उन्होंने यूक्रेन का समर्थन करने के लिए भी ज्यादा सख्ती का आह्वान किया है।
अमेरिका के समर्थक हैं माइक
माइक वाल्ट्ज भारत के साथ अमेरिकी रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने की वकालत करते हैं। दूसरी ओर माइक वाल्ट्ज चीन के आलोचक रहे हैं। वह ऐसी नीतियों के हिमायती हैं, जो चीनी मैन्युफैक्चरिंग पर US की निर्भरता को कम करें और अमेरिकी टेक्नॉलजी को सुरक्षित करें। वाल्ट्ज ने उइगर मुस्लिमों के साथ चीन के व्यवहार की आलोचना की थी। कोविड महामारी में चीन की भुमिका के विरोध में, उन्होंने बीजिंग में 2022 शीतकालीन ओलंपिक के अमेरिकी बहिष्कार का भी समर्थन किया।
डोनाल्ड ट्रंप के नए NSA माइक वाल्ट्ज के सामने अमेरिकी विदेश नीति से संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएं हैं। इनमें यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में संकट सबसे प्रमुख मुद्दे हैं। यूक्रेन युद्ध में रूस और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ता गठबंधन भी अमेरिका की शीर्ष चिंताओं में बना हुआ है। माइक के लिए ये पद इसलिए भी आसान नहीं होगा क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में चार एनएसए बदले थे। ऐसे में ट्रंप के पुराने रेकॉर्ड के चलते माइक को कहीं ना कहीं एक दवाब का भी सामना करना पड़ेगा।
माइक इंडिया कॉकस के को-चेयरमेन हैं। जो अमेरिकी सांसदों का एक ग्रुप है। इसका काम भारत-अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के लिए काम करता है। अमेरिकी में एनएसए का पद काफी अहम है, जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। एनएसए का काम टॉप राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय बनाते हुए राष्ट्रपति की नीतियों को लागू करना होता है।