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लोकसभा में आज हंगामे की सम्भावना बढ़ी,कई मुद्दों पर सरकार को घेर सकता है विपक्ष!

Latest News Parliament India! पांच दिनों के लिए जारी संसद के विशेष सत्र के आज तीसरे दिन हंगामे की सम्भावना बढ़ गई है। हालांकि आज संसद में महिला आरक्षण बिल पर भी कछार होनी है और सरकार ने इसकी पूरी तैयारी भी कर रखी है। लेकिन जिस तरह के शर्तों के साथ यह महिला आरक्षण बिल सामने आता दिख रहा है ,विपक्ष उसे सिर्फ धोखा ही बता रहा है। विपक्ष ने साफ़ तौर पर कहा है कि महिला आरक्षण बिल को जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसमे कई तरह के खेल किये गए हैं। ऊपर से यह भले ही दिख रहा है कि मोदी सरकार इस बिल को पास करने को तैयार है लेकिन जिक्र ड्राफ्ट में किया गया है उससे साफ़ है कि अगर यह बिल आज पास भी हो जाता है तो यह लागू कबसे होगा कोई नहीं जानता। ड्राफ्ट में कहा गया है कि यह कानून तब से लागू होगा जब नए स्तर से जनगणना कराये जायेंगे और लोकसभा और विधान सभा सीटों का फिर परिसीमन होगा।

बता दें कि हमारे देश में हर दस साल पर जनगणना कराये जाते रहे हैं। लेकिन पहली बार मोदी सरकार ने 2021 में होने वाले जनगणना को अभी तक नहीं कराये हैं। क्या सरकार अब जनगणना करा पाएगी ताकि महिलाओं को आरक्षण का लाभ मिल सके। या फिर परिसीमन किया जाएगा ? ऐसे बहुत से सवाल है। संभव है कि तमाम तरह के विरोध के बाद भी अगर यह बिल पास भी हो जाता है तो इस कानून को लागू करने में अभी समय लगेगा।

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उधर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक गंभीर सवाल कल उठाये थे। उन्होंने कहा था कि जिस संविधान की कॉपी को लेकर वे नयी संसद भवन में गए थे उसके प्रस्तावना से समाजवाद और सेक्युलर शब्द ही गायब थे। उन्होंने इसकी जानकारी सबको दी। फिर उन्होंने इसपर संसद में चर्चा करने की भी। लेकिन सत्ता पक्ष उन्हें बोलने नहीं दिया।
चौधरी ने कहा है कि यह सब चुके है। इसका मतलब है कि सरकार अँधेरे में जनता और देश को रखकर किसी गुप्त अजेंडे पर काम कर रही है। ऊपर से यह सरकार काम करती दिख रही है लेकिन भीतर से यह केवल इवेंट मैनेजमेंट करती है और जनता को गफलत में डाले रखती है। बता कि संविधान के प्रस्तावना में 1976 में समाजवाद और सेक्युलर शब्द को जोड़ा गया था।

इधर बीजेपी और संघ की तरफ से बराबर यह दवाब है है कि देश को हिन्दू राष्ट्र बनाया जाए। ऐसे में सरकार क्या कुछ करती है और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं इसका भी आंकलन कर रही है। संविधान के प्रस्तावना से अचानक समाजवाद और सेक्युलर शब्द का गायब हो जाना सरकार की मंशा की तरफ्र इशारा करता है और यह बता रहा है कि स विशेष सत्र के दौरान सरकार कुछ ऐसा करना चाहती है जिससे देश में एक भूचाल आ जाए और देश की जनता अचानक बीजेपी के प्रति जयकारे लगाने लगे। हालांकि दो महीने बाद जब राम मंदिर उद्घाटन की कहानी सामने आएगी और घर -घर प्रसाद वितरण से लेकर तीर्थ यात्रा की शुरुआत होगी तो संभव है कि बीजेपी का एक नया अवतार फिर से दिखेगा और संभव है कि इस बार के चुनाव में इसका लाभ फिर से बीजेपी उठा लेगी।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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