PAURI MAHOTSAV 2024: पौड़ी महोत्सव 2024 में गूंजे लोक संगीत के सुर, नरेंद्र सिंह नेगी और अनिल बिष्ट की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
PAURI MAHOTSAV 2024 : पौड़ी महोत्सव 2024 का समापन शानदार तरीके से हुआ, जिसमें प्रसिद्ध लोकगायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी और अनिल बिष्ट की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दोनों कलाकारों ने अपनी बेहतरीन गायन से महोत्सव को यादगार बना दिया, और दर्शकों ने देर रात तक इस सांस्कृतिक समागम का पूरा लुत्फ उठाया।
PAURI MAHOTSAV 2024: पौड़ी, 13 दिसंबर 2024 – पौड़ी महोत्सव 2024 का समापन भव्य तरीके से हुआ, जिसमें प्रसिद्ध लोकगायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी और लोक गायक अनिल बिष्ट की प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को अद्वितीय बना दिया। महोत्सव के समापन के दिन रामलीला मैदान में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में दोनों कलाकारों ने अपने गीतों से समा बांध दिया। इस तीन दिवसीय महोत्सव ने न केवल पौड़ी जिले के लोगों को बल्कि दूर-दूर से आए दर्शकों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया।
महोत्सव की शुरुआत हुई धार्मिक रंग से
पौड़ी महोत्सव की शुरुआत एक धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल के साथ हुई, जब गायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने प्रसिद्ध गीत ‘जय हो कंडोलिया ठाकुर’ से कार्यक्रम की शुरुआत की। इस गीत ने पूरे माहौल को भक्ति और सांस्कृतिक ऊर्जा से भर दिया। दर्शकों ने इस प्रस्तुत के दौरान जमकर ताली बजाई, और महोत्सव की शुरुआत को शानदार बताया।
नरेन्द्र सिंह नेगी और अनिल बिष्ट की धमाकेदार प्रस्तुतियां
महोत्सव के समापन के दिन नरेंद्र सिंह नेगी ने जैसे ही मंच पर अपनी प्रस्तुति शुरू की, पूरा रामलीला मैदान तालियों और हूटिंग से गूंज उठा। उनके गीतों ने न केवल बुजुर्गों बल्कि युवाओं को भी झूमने पर मजबूर कर दिया। लोकगीतों की मर्मस्पर्शी प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल छू लिया। उनकी आवाज़ में जो ऊर्जा और उत्साह था, वह हर दर्शक तक पहुँच रहा था।
लोक गायक अनिल बिष्ट ने भी अपनी प्रस्तुति से महोत्सव में चार चांद लगाए। उनका प्रसिद्ध गीत ‘ऐजा हे भानुमति’ पर दर्शक उत्साहित होकर झूम उठे। दोनों कलाकारों ने अपने गीतों के माध्यम से पौड़ी की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत किया और यह साबित कर दिया कि लोक संगीत की ताकत कितनी बड़ी है।
श्रोताओं ने की जोरदार सराहना
महोत्सव में आए दर्शकों ने इन प्रस्तुतियों को भरपूर सराहा और कहा कि इस तरह के सांस्कृतिक आयोजनों से न केवल लोक संस्कृति को बढ़ावा मिलता है बल्कि युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का भी अवसर मिलता है। लोग कहते हैं कि पौड़ी की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के लिए इस प्रकार के आयोजन बेहद महत्वपूर्ण हैं, और इन कार्यक्रमों से उन्हें सकारात्मक ऊर्जा मिली है।
प्रियंका मेहर के गीतों ने भी छाया
महोत्सव के दौरान प्रियंका मेहर की भी प्रस्तुति रही, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रियंका ने हिंदी, गढ़वाली और कुमाऊंनी गीतों का शानदार मिश्रण प्रस्तुत किया। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए गीत जैसे ‘ढाई हाथ धमेली,’ ‘धना-धना रे,’ और ‘बेड़ू पाको बारामासा’ ने महोत्सव को और भी रंगीन बना दिया। उनके गीतों ने न केवल गढ़वाली और कुमाऊंनी संस्कृति का परिचय दिया, बल्कि हर उम्र के श्रोताओं को अपनी धुन पर थिरकने के लिए मजबूर किया।
भविष्य में और भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की योजना
पौड़ी महोत्सव को सफल बनाने के लिए व्यापार सभा के सचिव देवेंद्र रावत ने सभी का धन्यवाद किया और इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि भविष्य में इस तरह के और भी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह महोत्सव पौड़ी जिले की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत करेगा।
समापन और उम्मीदें
पौड़ी महोत्सव 2024 का समापन एक यादगार सांस्कृतिक यात्रा के रूप में हुआ। गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, अनिल बिष्ट और प्रियंका मेहर जैसी महान कलाकारों ने अपने गीतों से इस महोत्सव को अभूतपूर्व बना दिया। इस महोत्सव ने न केवल पौड़ी की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का कार्य किया बल्कि लोक संगीत और कला के प्रति लोगों में एक नई चेतना भी जागृत की। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से क्षेत्रीय कला और संगीत को प्रोत्साहन मिल रहा है और आने वाले समय में इस तरह के और कार्यक्रमों की उम्मीद जताई जा रही है।