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Republic Day 2025 : 40 साल बाद पारंपरिक बग्गी में सवार होकर परेड समारोह में पहुंची मुर्मू ,भारत ने पाकिस्तान से टॉस में जीती थी शाही बग्घी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उनके इंडोनेशियाई समकक्ष प्रबोवो सुबियांतो रविवार को 76वें गणतंत्र दिवस परेड समारोह के लिए पारंपरिक बग्गी में सवार होकर कार्तव्य पथ पर पहुंचे। इस परंपरा को 40 साल के अंतराल के बाद पिछले साल फिर से शुरू किया गया था।

Republic Day 2025 : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76 वें गणतंत्र दिवस पर समारोह में जाने के लिए लिमोजिन की जगह बग्घी को चुना और इसी के साथ 250 साल पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज इंडोनेशियाई राष्ट्रपति के साथ परेड स्थल पहुंचीं थीं।

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कई मायनों में खास देश का 76 वां गणतंत्र दिवस, इसलिए भी खास है क्योंकि इस बार 40 साल बाद परेड में सोने की परत चढ़ी बग्घी को भी शामिल किया है। बता दें सोने की परत चढ़ी काली बग्घी भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई मिश्रित नस्ल के घोड़ों द्वारा खींची जाती है। इस बग्घी में सोने की परत चढ़ाए गए रिम भी हैं। राष्ट्रपति की इस बग्गी का उपयोग 1984 तक गणतंत्र दिवस समारोह के लिए किया जाता था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इसे बंद कर दिया गया था।

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बग्गी पर सवार होकर आई राष्ट्रपति


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76 वें गणतंत्र दिवस पर समारोह में जाने के लिए लिमोजिन की जगह बग्घी को चुना और इसी के साथ 250 साल पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इसी बग्गी पर सवार होकर गणतंत्र दिवस (Republic Day Parade) समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे। गौरतलब है कि 40 साल बाद भारत के राष्ट्रपति ने गणतंत्र दिवस परेड (Republic Day Parade) के समारोह में हिस्सा लेने के लिए बग्गी की सवारी की है।

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कब-कब हुआ बग्गी का उपयोग


सुरक्षा कारणों से बंद होने से पहले इस बग्घी का इस्तेमाल आखिरी बार 1984 में ज्ञानी जैल सिंह ने किया था। इसके बाद राष्ट्रपतियों ने यात्रा के लिए लिमोज़ीन का उपयोग करना शुरू कर दिया। वर्ष 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए इसका दोबारा इस्तेमाल किया था। इसके बाद वर्ष 2017 में रामनाथ कोविंद में राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद बग्घी में गार्ड सलामी गारद का निरीक्षण किया था। ब्रिटिश काल के दौरान बग्घी भारत के वायसराय की थी।

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ऐसे जीता था भारत ने बग्घी


ये बग्गी जितनी आकर्षित है उतनी ही दिलचस्प है इसको पाकिस्तान से जीतने की कहानी। बता दें साल 1947 में भारत की आज़ादी के बाद गाड़ी पर दावे को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद छिड़ गया था। विवाद का कोई तत्काल समाधान निकालने के लिए भारत के तत्कालीन लेफ्टिनेंट कर्नल ठाकुर गोविंद सिंह और पाकिस्तानी सेना के अधिकारी साहिबजादा याकूब खान ने तय किया कि बग्घी का स्वामित्व सिक्का उछालकर टॉस के आधार पर होगा। माना जाता है कि भारत ने टॉस जीता और तब से बग्घी देश के पास है। इस गाड़ी का उपयोग कई राष्ट्रपतियों द्वारा विभिन्न अवसरों पर किया गया है।

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Written by । Prachi chaudhary । National Desk

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