Nifty50 forecast: अमेरिका में मंदी की संभावना से बाजार डगमगाया, एमके ग्लोबल ने 26,000 का लक्ष्य 2026 तक बढ़ाया
अमेरिका में संभावित मंदी की आशंका के चलते निफ्टी50 सूचकांक निकट भविष्य में 21,500 तक गिर सकता है। एमके ग्लोबल ने निफ्टी का लक्ष्य 26,000 किया है, जिसे अब 2026 तक के लिए टाल दिया गया है। आईटी, मेटल्स और ऑटो जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर दबाव पड़ सकता है, जिससे निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
Nifty50 forecast: हाल ही में अमेरिका में आर्थिक मंदी की आशंकाओं ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है, जिसका प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में निफ्टी 50 में बड़ी गिरावट आ सकती है, और यह सूचकांक 21,500 तक लुढ़क सकता है। वित्तीय सेवा कंपनी एमके ग्लोबल का कहना है कि वैश्विक आर्थिक हालात और खासकर अमेरिका की स्थिति के मद्देनज़र निफ्टी के लिए 26,000 का पूर्व निर्धारित लक्ष्य अब 2026 तक ही संभव हो पाएगा।
अमेरिकी मंदी के संकेत: वैश्विक निवेश धारणा पर असर
अमेरिका में मंदी की संभावना से वैश्विक निवेशकों की धारणा में भारी बदलाव आया है। बढ़ती ब्याज दरें, धीमी आर्थिक वृद्धि और संभावित व्यापारिक दबाव ने अमेरिकी बाजार की गति को धीमा कर दिया है। इन हालात का असर केवल अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। भारतीय कंपनियों की आय में कमी और निर्यात पर दबाव इस मंदी के प्रभाव को और गहरा कर सकते हैं।
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एमके ग्लोबल का संशोधित दृष्टिकोण
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने निफ्टी को लेकर अपने पूर्वानुमान में संशोधन किया है। पहले जहां कंपनी को उम्मीद थी कि 2025 के अंत तक निफ्टी 26,000 के स्तर तक पहुंच जाएगा, अब यह लक्ष्य मार्च 2026 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। कंपनी के अनुसार, अगले कुछ महीनों में निफ्टी में 8–10 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल सकती है, और यह 21,500 के स्तर तक आ सकता है।
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प्रमुख सेक्टर्स पर प्रभाव
अमेरिका में संभावित आर्थिक मंदी का असर भारतीय बाजार के कई सेक्टर्स पर पड़ेगा। आईटी, मेटल्स, ऑटो और केमिकल्स जैसे निर्यात-आधारित उद्योगों को विशेष रूप से नुकसान उठाना पड़ सकता है। इन क्षेत्रों की कंपनियों की आय पर दबाव बढ़ेगा, जिससे निवेशकों की चिंता भी बढ़ सकती है। घरेलू मांग में कमी आने की संभावना कम है, लेकिन वैश्विक व्यापार में मंदी का असर भारत पर भी दिखाई देगा।
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निवेशकों के लिए सलाह: सतर्कता जरूरी
ऐसे माहौल में निवेशकों को अत्यधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों की राय है कि अल्पकालिक लाभ की बजाय दीर्घकालिक स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना बेहतर होगा। मजबूत बैलेंस शीट और स्थायी व्यवसाय मॉडल वाली कंपनियों में निवेश करना जोखिम को कम कर सकता है। इसके साथ ही, पोर्टफोलियो का नियमित पुनर्मूल्यांकन और विविधीकरण भी लाभदायक रहेगा।
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अमेरिका में मंदी की आशंकाएं और वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता ने भारतीय बाजार की दिशा को प्रभावित किया है। आने वाले समय में अगर वैश्विक परिस्थितियों में सुधार नहीं होता है, तो निवेशकों को और भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। निफ्टी का 21,500 तक जाना एक अस्थायी गिरावट हो सकती है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से बाजार में स्थिरता की उम्मीद की जा सकती है। एमके ग्लोबल का संशोधित लक्ष्य यह संकेत देता है कि निवेशकों को अब पहले से अधिक रणनीतिक और विवेकपूर्ण निर्णय लेने की जरूरत है।
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