Baisakhi Celebration Haridwar: बैसाखी पर हरिद्वार में उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर किया पुण्य अर्जन
हरिद्वार में बैसाखी पर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जहां लोगों ने गंगा स्नान कर पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर धार्मिक आस्था के साथ-साथ खालसा पंथ स्थापना और फसल कटाई का उत्सव भी मनाया गया। प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए और घाटों पर विशेष व्यवस्थाएं की गईं।
Baisakhi Celebration Haridwar: बैसाखी के पावन अवसर पर हरिद्वार में श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। हर की पैड़ी समेत समस्त गंगा घाटों पर देशभर से आए हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े, जिन्होंने गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना की। भक्ति, उल्लास और संयम से भरा यह पर्व न केवल फसल कटाई का प्रतीक है, बल्कि खालसा पंथ की स्थापना का भी स्मरण कराता है।
श्रद्धालुओं ने परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार मां गंगा में स्नान किया, दान-पुण्य किया और मंदिरों में पूजा-अर्चना कर भगवान से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना की। हरिद्वार के घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी गईं। घाटों पर विशेष साफ-सफाई और फूलों की सजावट ने धार्मिक वातावरण को और अधिक पवित्र बना दिया।
बैसाखी: फसल और धर्म का संगम
बैसाखी का पर्व हर वर्ष बैसाख मास की संक्रांति को मनाया जाता है। इसे हिंदू कैलेंडर का पहला दिन भी माना जाता है और विशेषकर उत्तर भारत में इसे नयी फसल की शुरुआत और समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। खेतों में लहराती सुनहरी गेहूं की बालियों के साथ यह पर्व किसानों के लिए खुशहाली का संदेश लाता है।
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साथ ही, यही दिन 1699 में सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना के रूप में भी ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि यह पर्व हिंदू और सिख – दोनों समुदायों के लिए गहन धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है।
गंगा स्नान का आध्यात्मिक महत्व
पंडित मनोज त्रिपाठी के अनुसार, “बैसाख मास का हर दिन पवित्र होता है, लेकिन बैसाखी की संक्रांति विशेष रूप से पुण्यदायी मानी जाती है।” उन्होंने बताया कि प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक बैसाख मास में तीर्थ स्नान करने से व्यक्ति को अत्यंत पुण्य प्राप्त होता है। गंगा स्नान करने मात्र से ही पाप नष्ट होने लगते हैं और जीवन में सफलता के द्वार खुलने लगते हैं।
उन्होंने कहा, “यदि कोई व्यक्ति गंगा तट पर नहीं जा सकता, तो घर पर स्नान जल में तुलसी पत्र डालकर मां गंगा का स्मरण कर स्नान करें, तो उसे हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड में स्नान के समान फल प्राप्त होता है।” स्नान के बाद दान करने से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है और पितरों की कृपा भी मिलती है।
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प्रशासन की सख्त निगरानी और व्यवस्था
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए हरिद्वार पुलिस-प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। पूरे मेला क्षेत्र को 4 सुपर जोन, 14 जोन और 40 सेक्टरों में बांटकर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई। हर की पैड़ी और आसपास के घाटों पर पुलिस बल की तैनाती के साथ-साथ ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था या आपात स्थिति से निपटा जा सके।
श्रद्धालुओं की गंगा के प्रति आस्था
बैसाखी पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि मां गंगा में डुबकी लगाने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में शांति और समृद्धि आती है। एक श्रद्धालु ने बताया, “हर साल बैसाखी पर हरिद्वार आकर गंगा स्नान करना हमारी परंपरा है। यहां आकर मन को जो शांति मिलती है, वह कहीं और संभव नहीं।”
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बैसाखी का पर्व हरिद्वार में केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुका है। आस्था, पवित्रता और उत्सव के इस संगम ने हरिद्वार को फिर एक बार दिव्यता से भर दिया। यह पर्व हमें प्रकृति, धर्म और परंपरा के बीच संतुलन बनाकर चलने की प्रेरणा देता है।
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