Gauri Mai Temple Opening: बैसाखी पर्व पर गौरी माई मंदिर के कपाट खोले गए, भक्तों ने स्वागत में दिखाई श्रद्धा
बैसाखी के पावन अवसर पर रुद्रप्रयाग स्थित गौरी माई मंदिर के कपाट विधिवत पूजा-अर्चना के साथ खोले गए। मां गौरी की मूर्ति को गांव से शोभायात्रा के रूप में मंदिर लाया गया। श्रद्धालुओं ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों और जयकारों के साथ देवी का भव्य स्वागत किया।
Gauri Mai Temple Opening: बैसाखी के पावन पर्व पर रुद्रप्रयाग जिले के प्रसिद्ध गौरीकुंड स्थित गौरी माई मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इस मौके पर पूरे क्षेत्र में भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। मंदिर परिसर ‘जय गौरी माई’ के जयकारों से गूंज उठा और भक्तों की आंखों में अपनी आराध्य देवी के दर्शन की उमंग स्पष्ट दिखाई दी। अब छह महीने तक गौरीकुंड स्थित इस मंदिर में मां गौरी माई की पूजा-अर्चना होगी।
गौरी गांव से शुरू हुई धार्मिक यात्रा
सुबह 6 बजे गौरी गांव में विशेष पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद, मां गौरी माई की मूर्ति को कंडी में विराजित कर कलेऊ, मौसमी फल, फूल और चुनरी अर्पित की गई। ढोल-दमाऊ और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ देवी की शोभायात्रा गौरी गांव से गौरीकुंड की ओर प्रस्थान की।
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भावुक विदाई, महिलाएं आईं दूर तक
इस यात्रा के दौरान गांव की बुजुर्ग महिलाएं भावुक हो गईं और देवी की विदाई के लिए काफी दूर तक साथ चलीं। लगभग एक किलोमीटर की यात्रा तय कर सुबह 8 बजे देवी की शोभायात्रा गौरीकुंड बाजार पहुंची। यहां स्थानीय लोग पुष्प और अक्षत के साथ मां गौरी माई का स्वागत करने के लिए तैयार थे।
मंदिर में पहुंचते ही पूजा की शुरुआत
गौरीकुंड बाजार से देवी की मूर्ति को मंदिर तक लाया गया, जहां तीन बार मंदिर के चारों ओर परिक्रमा की गई। इसके बाद, पुजारियों और हक-हकूकधारियों की उपस्थिति में सुबह 8:30 बजे मंदिर के कपाट खोले गए और विशेष पूजा-अर्चना शुरू की गई। भक्तों ने श्रद्धा भाव से देवी के दर्शन किए और आशीर्वाद लिया।
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छह महीने तक होगा यहां पूजा-अर्चना
गौरी माई की मूर्ति अब आगामी छह महीने तक गौरीकुंड के मंदिर में ही रहेगी, और इस दौरान यहां नियमित पूजा-अर्चना की जाएगी। स्थानीय निवासी और तीर्थयात्री प्रतिदिन देवी के दर्शन करने के लिए मंदिर में आएंगे।
चारधाम यात्रा की तैयारी भी तेज़
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल से होने जा रही है। इस दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोले जाएंगे। उसके बाद 2 मई को केदारनाथ धाम और 4 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे। गौरीकुंड, जो केदारनाथ यात्रा का प्रमुख आधार स्थल है, अब देवी गौरी माई की उपस्थिति से और भी पवित्र हो गया है।
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बैसाखी के पर्व पर गौरी माई मंदिर के कपाट खोलने की परंपरा ने श्रद्धालुओं को एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया। इस आयोजन ने न केवल धार्मिक भावनाओं को जागृत किया, बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति और लोक आस्था को भी मजबूती दी। आने वाले महीनों में यह स्थल तीर्थयात्रियों और भक्तों के भक्ति भाव से भरा रहेगा।
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