US Tariff News: हाल ही में अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले कुछ प्रमुख उत्पादों पर भारी टैरिफ यानी आयात शुल्क लगा दिया है। यह टैरिफ करीब 245% तक का है, जो किसी भी सामान्य व्यापारिक नीति से कहीं अधिक सख्त कदम माना जा रहा है। इस कदम के बाद चीन की प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें उसने अमेरिका को चेतावनी दी है कि यदि इस तरह के प्रतिबंधात्मक कदम जारी रहे, तो दोनों देशों के बीच संवाद की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी।
क्या है मामला?
अमेरिका ने यह टैरिफ विशेष रूप से चीन से आयातित स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर लगाया है। वाशिंगटन का तर्क है कि चीन की कंपनियां इन उत्पादों को भारी सब्सिडी के साथ सस्ते दामों में अमेरिका भेज रही हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हो रहा है। अमेरिकी सरकार ने इसे अनुचित प्रतिस्पर्धा कहा है और घरेलू उद्योग की रक्षा के लिए इस पर सख्त शुल्क लगाने का फैसला किया।
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चीन की प्रतिक्रिया
चीन ने अमेरिका के इस कदम को व्यापारिक संरक्षणवाद की मिसाल बताते हुए कहा कि यह वैश्विक व्यापार नियमों की अवहेलना है। बीजिंग का मानना है कि यदि अमेरिका इस तरह के एकतरफा दबाव की नीति अपनाता रहा, तो दोनों देशों के बीच व्यापारिक सहयोग और संवाद की संभावना समाप्त हो सकती है।
अमेरिका का पक्ष
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय घरेलू उद्योग को चीन की डंपिंग नीति से बचाने के लिए लिया गया है। अमेरिका का आरोप है कि चीन अपनी सरकारी सब्सिडी की मदद से ऐसे उत्पाद तैयार कर रहा है जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में असली लागत से बहुत कम दामों में बिक रहे हैं, जिससे अन्य देशों की कंपनियों को टिकना मुश्किल हो रहा है।
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टैरिफ का असर
इस भारी टैरिफ का असर न केवल चीन पर बल्कि अमेरिका के उपभोक्ताओं और उद्योगों पर भी पड़ सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिका में इन उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे बिल्डिंग, ऑटोमोबाइल और टेक इंडस्ट्री प्रभावित होंगी। वहीं, चीन के लिए यह फैसला बड़ा आर्थिक झटका हो सकता है, क्योंकि अमेरिका उसका एक बड़ा निर्यात बाजार है। अगर यह विवाद आगे बढ़ता है, तो यह दोनों देशों के बीच नए व्यापार युद्ध की शुरुआत भी बन सकता है।
चीन की तीखी प्रतिक्रिया
चीन ने इस निर्णय को “अनुचित और भेदभावपूर्ण” करार देते हुए कहा है कि यह कदम विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के विरुद्ध है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने साफ कहा है कि अगर अमेरिका इसी तरह की नीतियां अपनाता रहा, तो दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी। चीन ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका आर्थिक दबाव बनाकर व्यापार को नियंत्रित करना चाहता है, जो वैश्विक स्थिरता के लिए खतरनाक है। बीजिंग ने यह इशारा भी दिया कि अगर अमेरिका पीछे नहीं हटा, तो जवाबी कदम उठाए जा सकते हैं।
अमेरिका द्वारा 245% का टैरिफ लगाया जाना एक बेहद आक्रामक व्यापारिक कदम है, जिससे चीन को स्पष्ट संकेत मिल गया है कि अमेरिका अब और नरमी नहीं दिखाएगा। वहीं चीन ने भी यह संकेत दे दिया है कि अगर यह रवैया जारी रहा, तो वह सहयोग की बजाय टकराव का रास्ता अपना सकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मामला शांतिपूर्ण बातचीत से सुलझेगा या फिर यह एक और व्यापार युद्ध की भूमिका तैयार कर रहा है।
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