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TIGER RESERVE ILLEGAL TREE FELLING: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रकरण में सीबीआई का बड़ा कदम, शासन से अफसरों के खिलाफ अभियोजन की मांगी अनुमति

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध पेड़ कटान और निर्माण कार्यों की जांच पूरी करने के बाद सीबीआई ने उत्तराखंड शासन से अभियोजन की अनुमति मांगी है। सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणियों के बीच सीबीआई अब आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है। इस मामले में पूर्व वन मंत्री समेत कई वरिष्ठ अधिकारी जांच के दायरे में हैं।

TIGER RESERVE ILLEGAL TREE FELLING: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध पेड़ कटान और अनाधिकृत निर्माण कार्यों के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अपनी जांच पूरी कर ली है। अब इस संवेदनशील प्रकरण में सीबीआई ने उत्तराखंड शासन के पास संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति मांगी है। सीबीआई पिछले एक सप्ताह में दो बार सचिवालय में दस्तक दे चुकी है और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर जांच रिपोर्ट भी सौंप चुकी है।

जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने जांच के दौरान डिप्टी सेक्रेटरी और प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु से भी मुलाकात की। प्रमुख सचिव ने खुद पुष्टि की कि सीबीआई अधिकारियों ने उनसे मुलाकात कर जांच से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज साझा किए हैं। अब शासन से अभियोजन की अनुमति मिलने के बाद सीबीआई जल्द ही आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है।

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हरक सिंह रावत से भी हुई थी पूछताछ

इस मामले में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत भी जांच के घेरे में रहे हैं। सीबीआई ने उनसे भी पूछताछ की थी। साथ ही, वन विभाग के मुख्यालय से लेकर शासन स्तर तक कई दस्तावेजों की गहन जांच की गई। उल्लेखनीय है कि प्रारंभिक आरोपों के अनुसार कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बिना अंतिम स्वीकृति के कई निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिए गए थे और स्वीकृत संख्या से कहीं अधिक पेड़ों का अवैध कटान हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी कड़ी नाराजगी

मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड के तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन डीएफओ किशन चंद पर तीखी टिप्पणी की थी। सर्वोच्च अदालत ने इसे नेताओं और अधिकारियों द्वारा “पब्लिक ट्रस्ट सिद्धांत को कूड़ेदान में फेंकने का उत्कृष्ट उदाहरण” बताया था। कोर्ट ने कहा था कि जिस प्रकार वैधानिक प्रावधानों को ताक पर रखकर निर्णय लिए गए, वह चौंकाने वाला है।

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न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने साफ कहा था कि डीएफओ किशन चंद को केवल तत्कालीन वन मंत्री के पद छोड़ने के बाद ही निलंबित किया जा सका था। साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की विस्तृत जांच जारी रखने की अनुमति दी थी, जो अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है।

पृष्ठभूमि: कैसे बढ़ा विवाद

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरौ क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने और बाघ अभयारण्य की स्थापना के नाम पर बिना आवश्यक स्वीकृतियों के व्यापक स्तर पर निर्माण कार्य शुरू कराए गए थे। आरोप यह भी है कि जितने पेड़ों के कटान की अनुमति थी, उससे कई गुना अधिक पेड़ों को अवैध तरीके से काटा गया। इस वजह से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा। मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया और उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कठोर टिप्पणियां कीं।

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चार अधिकारी बन सकते हैं आरोपी

सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में किन-किन अधिकारियों को आरोपी बनाया है, इसका आधिकारिक खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों के अनुसार कम से कम चार वरिष्ठ अधिकारी इस जांच के घेरे में हैं। अब अभियोजन स्वीकृति मिलते ही सीबीआई कोर्ट में औपचारिक चार्जशीट दाखिल कर सकती है।

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