Wildlife loss in Uttarakhand fires: उत्तराखंड के जंगलों में आग से वन्यजीव संकट में, वन विभाग के पास नहीं है नुकसान का आंकड़ा
उत्तराखंड के जंगलों में लग रही आग पर्यावरण के साथ-साथ वन्यजीवों के लिए भी गंभीर खतरा बन चुकी है। अब तक वन्यजीवों की क्षति को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। विशेषज्ञ वन्यजीव संरक्षण के लिए शोध और बेहतर अग्नि प्रबंधन की मांग कर रहे हैं।
Wildlife loss in Uttarakhand fires: उत्तराखंड में जंगलों में आग लगने की घटनाएं हर साल चिंता का विषय बनती हैं, लेकिन इस समस्या का एक अनदेखा पहलू यह है कि इसका सीधा प्रभाव जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों पर भी पड़ता है। पर्यावरणीय नुकसान पर तो चर्चा होती रही है, लेकिन वन्यजीवों को होने वाले नुकसान का न तो कोई विस्तृत अध्ययन किया गया है और न ही इस संबंध में कोई ठोस आंकड़े सार्वजनिक किए गए हैं।
फॉरेस्ट फायर सीजन के दौरान उत्तराखंड में जंगलों में आग की घटनाएं लगातार सामने आती हैं। इस वर्ष अब तक 180 आग की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं, जिससे लगभग 209 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इन घटनाओं का असर केवल जंगल की हरियाली पर नहीं, बल्कि उसमें बसे जीवन पर भी पड़ा है। खासकर संरक्षित वन्यजीव क्षेत्रों में आग लगना एक गंभीर चिंता का विषय है।
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वन विभाग के पास नहीं है वन्यजीव हानि का विवरण
उत्तराखंड वन विभाग भी इस बात को स्वीकार करता है कि जंगलों की आग से वन्यजीव प्रभावित होते हैं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से विभाग के पास इस नुकसान से जुड़ा कोई सटीक डाटा मौजूद नहीं है। पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) रंजन कुमार मिश्रा का कहना है कि जंगलों में लगने वाली आग से छोटे जीव-जंतु से लेकर बड़े वन्य प्राणी तक प्रभावित होते हैं। मिश्रा बताते हैं कि विभाग लगातार प्रयासरत है कि संरक्षित क्षेत्रों में आग न फैले और इसके लिए स्थानीय लोगों तथा समितियों की मदद ली जा रही है।
संरक्षित क्षेत्रों में भी लगी आग
उत्तराखंड में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और राजाजी नेशनल पार्क जैसे कई संरक्षित वन क्षेत्र हैं, जहां बड़ी संख्या में वन्यजीव रहते हैं। लेकिन इन संरक्षित क्षेत्रों में भी आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। अब तक 12 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां संरक्षित क्षेत्रों में आग लगी और 15 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र प्रभावित हुआ है। यह तथ्य चिंताजनक है, क्योंकि इन क्षेत्रों को विशेष रूप से वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए निर्धारित किया गया है।
अध्ययन और निगरानी की कमी
वन विभाग द्वारा हर वर्ष फॉरेस्ट फायर से प्रभावित वन क्षेत्र की जानकारी तो दी जाती है, लेकिन यह जानकारी केवल आग की घटनाओं और प्रभावित क्षेत्र की होती है। वन्यजीवों की हानि को लेकर कोई विशेष रिपोर्ट या विश्लेषण नहीं किया जाता। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में लगने वाली आग से बड़ी संख्या में छोटे जीव जैसे सरीसृप, कीड़े-मकोड़े और पक्षी प्रभावित होते हैं, जो आग से सीधे या तो मारे जाते हैं या अपना प्राकृतिक आवास छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं।
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स्थानीय सहयोग से समाधान की कोशिशें
वन विभाग अब स्थानीय लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देकर आग पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहा है। गांवों में समितियों का गठन किया जा रहा है, जो आग लगने पर तुरंत विभाग को सूचित करें और प्राथमिक उपायों से आग को फैलने से रोकें। इसके अलावा संरक्षित क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाई जा रही है ताकि वन्यजीवों को आग से होने वाले खतरे से बचाया जा सके।
जंगलों की आग केवल हरियाली को ही नहीं, बल्कि उसमें बसने वाले जीव-जंतुओं के जीवन को भी तबाह कर रही है। वन्यजीवों पर इसका कितना गहरा असर हो रहा है, इस पर अब तक कोई ठोस जानकारी या शोध नहीं है। यह आवश्यक हो गया है कि वन विभाग केवल आग बुझाने पर ही नहीं, बल्कि इससे होने वाले वन्यजीव नुकसान का वैज्ञानिक तरीके से आकलन करे और उनके संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाए।
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