Rabies Infection: हल्द्वानी में बिल्ली के काटने पर रेबीज से सात साल के बच्चे की दर्दनाक मौत
हल्द्वानी में सात वर्षीय बच्चे की बिल्ली के काटने के बाद रेबीज संक्रमण से मौत हो गई। परिवार ने उसे टिटनेस का इंजेक्शन तो लगाया, लेकिन एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई।डॉक्टरों के अनुसार, समय पर वैक्सीन लगने से बच्चे की जान बचाई जा सकती थी।
Rabies Infection: उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां बिल्ली के काटने के बाद रेबीज संक्रमण के चलते सात वर्षीय बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई। रामपुर रोड निवासी इस बच्चे ने शुक्रवार देर रात हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में दम तोड़ दिया। इस दुखद घटना के बाद परिवार में कोहराम मचा हुआ है।
टिटनेस इंजेक्शन तो लगाया, लेकिन रेबीज से बचाव नहीं किया
जानकारी के अनुसार, करीब दो महीने पहले जब बच्चा अपनी मां के साथ दूध लेने निकला था, तभी रास्ते में एक बिल्ली ने उसे काट लिया था। परिजनों ने बच्चे को टिटनेस का इंजेक्शन तो लगवा दिया, लेकिन गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए एंटी रेबीज टीका नहीं लगवाया। यही लापरवाही मासूम की जान पर भारी पड़ गई।
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अचानक बिगड़ी तबीयत, अस्पताल पहुंचने पर चली गई जान
शुक्रवार रात बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उसे तेज बुखार, हाइड्रोफोबिया (पानी से डर) और असामान्य शारीरिक हरकतें होने लगीं। घबराए परिजन तुरंत बच्चे को सुशीला तिवारी अस्पताल की आपातकालीन सेवा में ले गए। लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चा बच नहीं सका। बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ऋतु रखोलिया ने बताया कि अस्पताल पहुंचते समय ही बच्चे की स्थिति बेहद गंभीर थी।
समय पर एंटी रेबीज इंजेक्शन लगने से बच सकती थी जान
डॉक्टरों के मुताबिक, रेबीज का एकमात्र बचाव समय पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाना है। अगर जानवर के काटने के 24 घंटे के भीतर यह टीका लग जाए, तो संक्रमण का खतरा टल सकता है। लेकिन बच्चे के परिजनों ने लापरवाही बरती, जिसके चलते मासूम की जान चली गई।
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रेबीज: एक जानलेवा बीमारी जिसके इलाज में देरी नहीं कर सकते
डॉ. रखोलिया ने बताया कि रेबीज एक ऐसा संक्रमण है जिसका दुनिया में कोई इलाज नहीं है। कुत्ते, बिल्लियों, गीदड़, लोमड़ी आदि जानवरों की लार के माध्यम से यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है। संक्रमित जानवरों के काटने के बाद वायरस सीधे दिमाग और स्नायु तंत्र पर हमला करता है। रेबीज से ग्रसित जानवर भी आमतौर पर 10 दिन के भीतर मर जाते हैं।
रेबीज के लक्षण और बचाव के उपाय
रेबीज संक्रमण के प्रमुख लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में जकड़न, पानी से डर (हाइड्रोफोबिया), भ्रम और असामान्य व्यवहार शामिल हैं। जानवर के काटने के बाद तुरंत घाव को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोना और फिर जल्द से जल्द एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाना अनिवार्य है। यदि समय पर टीकाकरण हो जाए तो संक्रमण रोका जा सकता है, अन्यथा परिणाम जानलेवा हो सकते हैं।
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गांव में खेती-किसानी से जुड़े हैं मासूम के पिता
मृतक बच्चे के पिता गांव में खेती-किसानी करते हैं। परिवार के सीमित संसाधन और स्वास्थ्य शिक्षा की कमी ने इस त्रासदी को और भी गहरा बना दिया। इस दुखद घटना ने एक बार फिर से समय पर सही चिकित्सा और टीकाकरण के महत्व को उजागर किया है।
समाज को सतर्क रहने की जरूरत
यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है कि जानवरों के काटने जैसी घटनाओं को हल्के में न लिया जाए। सही जानकारी और सतर्कता से ऐसी जानलेवा बीमारियों से बचा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन को भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रेबीज के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं से बचा जा सके।
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