Bihar News (Politics): नीतीश कुमार अचानक बीमार हो गए। उन्हे विक्षिप्त भी कहा जा रहा है। विपक्ष वाले कई तरह के इल्जाम और भी लगा रहे हैं। कोई उन्हे जहरीली चीज खिलाने का आरोप। लगा रहा है तो कोई और भी कई तरह को बातें कर रहा है। और कुल मिलाकर कथा ये रची गई है कि नीतीश कुमार अब काम करने लायक नही है ।वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे है।
क्या बिहार को जनता भी ऐसा ही सब कुछ सोच रही है। क्या जदयू के नेता भी ऐसा ही सोच और समझ रहे है और क्या इंडिया गठबंधन के नेता भी ऐसा ही मान रहे हैं ? सच तो यही है कि इंडिया गठबंधन तेजी से अपने काम को अंजाम दे रहा है। जदयू बड़ी तेजी से अगले लोकसभा और 2025 के विधान सभा चुनाव पर को तैयारी में जुटी हुई है। सबके पास चुनावी कार्यक्रम है।नीतीश कुमार बिहार को आगे बढ़ाने के साथ ही महागठबंधन को मजबूत करने में जुटे हैं और अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बिहार से साफ करने की तिवारी भी नीतीश कुमार कर रहे हैं ।
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लेकिन इसी बीच जातीय गणना से जुड़े सर्वे रिपोर्ट बाहर आते हैं। जातीय आबादी के मुताबिक आरक्षण की बात होती है। फिर कैबिनेट की बैठक में उसे पारित किया जाता है और अगले दिन विधान सभा में इसे पेश भी किया जाता है और यह बिल दोनो सदनो से पास भी हो जाता है।
इस बिल के मुताबिक बिहार में अबतक जातीय आरक्षण जो 50 फीसदी पर था उसे बढ़ाकर 65 फीसदी किया गया है।
इसी दौरान नीतीश कुमार सदन में महिलाओं की शिक्षा और प्रजनन दर को लेकर अपना बयान दिया।उनका बयान सेक्स एजुकेशन से जुड़ा था ।उनके हकने में शब्दों का हर जरूर था। समुचित शंदों का अभाव था विपक्ष ने उसे मुद्दा बना दिया विपक्ष ने सीएम के बयान को महिलाओं के खिलाफ बताया और फिर उनके खिलाफ एक अभियान चलाना शुरू किया। दूसरे दिन ही पीएम मोदी ने नीतीश के बयान की चर्चा एमपी में अपने चुनावी भाषण में किया ।फिर एक दिन बाद नीतीश कुमार जीतन राम मांझी पर भड़के ।क्यों भड़के इस पर कोई बहस नही ।नीतीश कुमार भड़क गए और इसे में भी मानसिक बीमारी घोषित किया गया।
अब सवाल है कि क्या नीतीश कुमार सचमुच में मानसिक तौर पर बीमार है ? या कोई साजिश रची जा रही है । जानकार कह रहे हैं की जबसे नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हुए है बीजेपी के लोग लगातार इनपर हमला कर रहे हैं। तरह तरह के इल्जाम भी लगाए जा रहे हैं। कुछ इल्जाम तो उन पर बिल्कुल ही निजी तरह के लगाए गए है लेकिन नीतीश कुमार हंसते रहते हैं लेकिन हाल की कुछ घटनाओं पर गौर करे तो साफ हो जाता है कि नीतीश कुमार को ठीक उसी तरह से टारगेट किया गया है जैसे पहले राहुल गांधी को किया गया था। राहुल को टारगेट करके पप्पू बनाया गया था ।बीजेपी और संघ से जुड़े लोगों और संगठनों ने इस आयोजन पर काफी खर्च भी किया था।
बीजेपी के लोग आज भी राहुल पर हमला करने से नहीं बचते। लेकिन बीजेपी के लोग जान गए हैं कि राहुल की पढ़ाई उमदा है और पढ़ाई लिखाई में उसे चुनौती नही दी जा सकती। ऐसे में राहुल पर अटैक केवल इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वे सरकार की।पोल खोल रहे है और बीजेपी को भला यह कैसे सहन हो सकती गई। जिस समाज के नागरिक मोदी के जयकारे लगाते हों ,मोदी को भक्ति में लीन हों गोदी मीडिया को ही सच मानती हो इस समाज और नागरिक का पतन निश्चित ही गई ।लेकिन यह सब इस देश में चल रहा है।
ठीक यही सब नीतीश कुमार के साथ चल रहा है। बीजेपी का आईटी सेल तेजी से नीतीश कुमार के खफा प्रोपगंडा चलाने में व्यस्त है। उसकी गोदी मीडिया ओ फौज इस काम को आगे बढ़ा रही है। और यह सब इसलिए किया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने बिहार समेत पूरे भारत में बीजेपी के बढ़ते कदम को फांस लिया है। हालिया आरक्षण का खेल बीजेपी के लिए सबसे बड़ा झटका है। नीतीश के इस झटके से पर पाना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है। और यही सब वजह है कि नीतीश कुमार बीमार और विक्षिप्त घोषित किए जा रहे हैं।