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Sports Ministry Rules: उत्तराखंड में नेशनल गेम्स के दौरान सामने आए विवाद के बाद केंद्र सरकार ने जारी किए सख्त दिशा-निर्देश

खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बाहरी खिलाड़ियों की अनियमित भागीदारी रोकने के लिए नए दिशा-निर्देश लागू किए हैं। अब सभी राज्यों को छह महीने पहले से खिलाड़ियों की जानकारी साझा करनी होगी। यह निर्णय हाल ही में उत्तराखंड में हुए नेशनल गेम्स विवाद के बाद लिया गया है।

Sports Ministry Rules: भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय खेलों और चैंपियनशिप में अन्य राज्यों के खिलाड़ियों को बिना स्पष्ट योग्यता के शामिल किए जाने पर गंभीर चिंता जताते हुए नए निर्देश जारी किए हैं। 19 मई 2025 को मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में राज्यों को प्रतियोगिता से पहले और बाद में खिलाड़ियों का पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है।

उत्तराखंड नेशनल गेम्स बना वजह

हाल ही में उत्तराखंड में आयोजित नेशनल गेम्स के दौरान कुछ ऐसे खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया गया, जिनका राज्य से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं था। इन खिलाड़ियों ने अंतिम समय में उत्तराखंड की टीम का हिस्सा बनकर पदक भी जीते, जिससे पारदर्शिता पर सवाल खड़े हुए। इस घटना के बाद ही केंद्र ने हस्तक्षेप करते हुए यह कदम उठाया है।

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खिलाड़ी की पात्रता होगी अनिवार्य शर्त

नए दिशा-निर्देशों के अनुसार अब किसी भी खिलाड़ी को राज्य का प्रतिनिधित्व करने से पहले कुछ निर्धारित मानदंडों को पूरा करना होगा। इसमें निवास प्रमाण पत्र, छह महीने पूर्व से राज्य में रहने का प्रमाण और अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) शामिल है। यदि कोई राज्य किसी इवेंट में हिस्सा नहीं लेता है तो उसे इसका कारण भी मंत्रालय को लिखित रूप में देना होगा।

किसी प्रतियोगिता में मनमानी की अब इजाजत नहीं

मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अब प्रतियोगिताओं में बिना अनुमति कोई नया इवेंट नहीं जोड़ा जा सकेगा और ना ही किसी इवेंट को अचानक हटाया जा सकेगा। इससे चैंपियनशिप की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।

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रिपोर्टिंग सिस्टम और शिकायत समाधान भी जरूरी

खेल संगठनों को अब एक प्रभावी शिकायत समाधान प्रणाली और व्हिसल ब्लोअर नीति लागू करनी होगी ताकि कोई भी गड़बड़ी सामने आते ही कार्रवाई की जा सके। रिपोर्टिंग प्रक्रिया को भी डिजिटल माध्यम से समयबद्ध करना अनिवार्य किया गया है।

“पहले से मौजूद हैं नियम” – खेल निदेशक उत्तराखंड

उत्तराखंड के खेल निदेशक प्रशांत आर्य ने बताया कि यह दिशा-निर्देश पूरी तरह से नए नहीं हैं बल्कि पूर्व में भी प्रचलित रहे हैं। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों और खेल संगठनों में नए लोग लगातार जुड़ते हैं, इसलिए समय-समय पर इन नियमों की याद दिलाना जरूरी हो जाता है।

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खेल विश्लेषकों की राय: अच्छा कदम, देर से आया

खेल मामलों के जानकार राजू गुसाईं ने कहा कि यह दिशा-निर्देश राज्य संघों की जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में हुए हालिया विवाद के चलते ही मंत्रालय को हस्तक्षेप करना पड़ा। गुसाईं के अनुसार भविष्य में अब किसी खिलाड़ी को प्रतियोगिता से छह महीने पहले से संबंधित राज्य में सक्रिय रहना होगा और सभी दस्तावेज पहले ही मंत्रालय को भेजने होंगे।

भविष्य में पारदर्शिता होगी प्राथमिकता

मंत्रालय के नए दिशा-निर्देशों से स्पष्ट है कि अब राज्य स्तर पर खिलाड़ियों के चयन में पारदर्शिता और जवाबदेही प्रमुख होगी। इससे न केवल स्थानीय खिलाड़ियों को अधिक अवसर मिलेंगे बल्कि खेल प्रतियोगिताओं में निष्पक्षता भी बनी रहेगी।

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SPORT DESK NWI

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