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बिहार में फिर होगा खेला, नीतीश कुमार की कुर्सी पर खतरा , क्या बचा पाएगे सत्ता या तेजस्वी मारेंगे बाजी!

बिहार समाचार Bihar News - News Watch India

Nitish Sarkar Floor Test: बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले राज्य में राजनीतिक पारा हाई है। तमाम दल अपने-अपने विधायकों को एकजुट रखने की जुगत में जुटे हैं। RJD जिस मजबूती से कह रही है कि 12 फरवरी को खेला होगा, उसके बाद से राजनीतिक गलियारे में चर्चाओं का बाजार गरम है।

बिहार की राजनीति पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। इस संशय का आलम यह है कि अधिकतर दल अपने अपने विधायकों को संदेह की नजर से देखने लगे हैं। हालत यह हो गई कि बिहार की राजनीति पर पूर्व उप सीएम तेजस्वी यादव का वह बयान हावी हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि खेला तो होगा। बिहार के विधायकों की चर्चा दिल्ली से तेलंगाना तक हो रही है। हर पार्टियां अपने अपने हिसाब से विधायकों को एकजुट रखने के प्रयास में है।

Bihar विधान सभा अध्यक्ष के तेवर से सत्ता दल परेशान

बिहार विधान सभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के तेवर से सत्ता दल की बौखलाहट बढ़ गई है। ऐसा नहीं कि अविश्वास प्रस्ताव झेलने वाले अवध बिहारी चौधरी कोई पहले विधान सभा अध्यक्ष हैं। इसके पहले, विधान सभा अध्यक्ष शिवचंद्र झा, विंदेश्वरी वर्मा और 2022 में भाजपा के विजय सिन्हा पर भी अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। पर अवध बिहारी चौधरी इस मामले में उन सब विधान सभा अध्यक्ष से अलग हैं। अवध बिहारी चौधरी पहले विधान सभा अध्यक्ष होंगे जो अपने ऊपर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे। पत्रकारों से बात करते हुए बिहार विधान सभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने साफ तौर से कहा- ‘मैं इस्तीफा नहीं दूंगा’। अविश्वास प्रस्ताव का सदन में सामना करूंगा। शेष विधानसभा अध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से पहले इस्तीफा दे दिया था। अवध बिहारी चौधरी की तरफ से उठाए गए इस कदम के बाद सत्ता दल में भी विधायकों के टूटने का खौफ कायम कर दिया है।

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राज को राज रहने दे: भाई वीरेंद्र

अवध बिहारी चौधरी के इस कदम के बाद राजद के वरीय विधायक भाई वीरेंद्र ने भी अपने बयान से सत्ता दल के रणनीतिकारों की धड़कन बढ़ा दी है। भाई वीरेंद्र ने रिपोर्ट से बात करते हुए कहा कि खेला तो 12 फरवरी को होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी डर गए हैं। इसलिए भागे भागे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए। और उनसे कह रहे हैं कि अब हम आपके साथ रहेंगे। दरअसल, जदयू के विधायकों में नीतीश कुमार के प्रति काफी नाराजगी है। इसका कारण यह है कि नीतीश कुमार ब्यूरोक्रेट्स को प्राथमिकता देते हैं। चारो ओर अधिकारी हावी हैं। विधायक जनता का प्रतिनिधि होता है। पर जनता का कोई काम नहीं रहा है। इसलिए ज्यादा मत बोलवाइए 12 फरवरी को खेला देखिए और शाम को मिलिए।

मंत्री श्रवण कुमार ने दिया चौका देने वाला बयान

जदयू के मंत्री श्रवण कुमार ने यह कह कर चौंका दिया कि जदयू विधायकों के पास फोन आ रहे हैं। विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है। साथ ही यह कहा जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी सदस्यता नहीं जाने देंगे। मगर जदयू के विधायक मजबूती से उनके प्रलोभन को ठुकरा रहे हैं। इनका सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरा विश्वास है। जदयू के विधायक कहीं नहीं जायेंगे और NDA की सरकार को मजबूत करेंगे।

संभावना क्या है?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की माने तो NDA की सरकार पूर्ण बहुमत में है। NDAके पास सरकार बनाए रखने के मैजिक नंबर से ज्यादा विधायकों का साथ है। ऐसे में NDA की सरकार अपनी गति से आगे बढ़ेगी। और यदि उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के दावे में दम होगा तो अविश्वास प्रस्ताव गिर भी सकता है। यह तभी संभव होगा जब सत्ता पक्ष के विधायक अविश्वास प्रस्ताव के विरुद्ध क्रॉस वोटिंग करें या सरकार बनाने के मैजिक को ध्वस्त करते सत्ता पक्ष के विधायक सदन की कार्यवाही से खुद को अलग रखें यानी सदन से ही अनुपस्थित हो जाएं।

ऐसे में CM नीतीश कुमार के पास 2 विकल्प हैं। पहला विकल्प राज्यपाल के हाथ अपना इस्तीफा दे देंगे। दूसरा विकल्प यह है कि नीतीश कुमार मंत्रिमंडल की बैठक में सदन को भंग कर देने का फैसला लें और राज्यपाल को इस फैसले की जानकारी दें। अब राज्यपाल पर निर्भर करता है कि सबसे बड़ी पार्टी राजद को सरकार बनाने का न्योता दें या फिर विधायकों के खरीद फरोख्त को रोकने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू कर दें।

Prachi Chaudhary

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